विक्रम मिश्र, कानपुर। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में तैनात पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) ऋषिकांत शुक्ल के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। कानपुर पुलिस की ओर से गठित एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम) की रिपोर्ट में उनके पास 100 करोड़ रुपये की अकूत और बेनामी संपत्ति होने का खुलासा हुआ है। इसी आधार पर शासन ने फिलहाल उन्हें निलंबित कर दिया है।
गिरोह को सहयोग का आरोप
एसआईटी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सीओ ऋषिकांत शुक्ल ने जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे के गिरोह को सहयोग दिया था। वहीं, सीओ शुक्ल ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनके निलंबन के बाद पुलिस महकमे में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि हाल ही में कमिश्नरेट पुलिस ने अधिवक्ता अखिलेश दुबे से करीबी संबंध रखने वाले इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी को भी निलंबित किया था। इसके अलावा कई पुलिसकर्मियों और केडीए कर्मियों को एसआईटी की ओर से नोटिसें भेजी गई थीं।
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परिजनों और साझेदारों के नाम पर संपत्ति
एसआईटी जांच में यह भी सामने आया कि सीओ ऋषिकांत शुक्ल ने खुद, अपने परिजनों और साझेदारों के नाम पर 100 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। कुछ समय पहले पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने “ऑपरेशन महाकाल” के तहत अधिवक्ता अखिलेश दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसी सिलसिले में गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस, पत्रकारों और वकीलों के गठजोड़ का भी खुलासा किया था।
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सीओ ऋषिकांत शुक्ल का नाम सबसे पहले इसी जांच में सामने आया था। अब उनका निलंबन व विजिलेंस जांच की संस्तुति शासन की ओर से अधिवक्ता अखिलेश दुबे प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
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