Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda: ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ‘मनुस्मृति’ किताब को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति को लेकर  देश में एक ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है कि जैसे वो बहुत खराब किताब है और संसार में जितनी समस्याएं पैदा हुई है वो इसी की वजह से हुई हैं। उन्होंने कहा कि जिस मनुस्मृति से लोक-परलोक दोनों सुधर रहे हैं। जिस मनुस्मृति ने हमें पशुता से उठाकर मानव बनाया उसके बारे में ऐसा दुष्प्रचार वही कर सकता है, जो हमें नष्ट करना चाहता हो। स्वामी ने कहा कि जैसे हर मुसलमान के घर में कुरान होती है वैसे हर हिन्दू के घर में मनुस्मृति होनी चाहिए। 

मनुस्मृति का स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया समर्थन

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति का समर्थन करते हुए कहा कि कहा कि केवल कहने से कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अथवा शूद्र नहीं हो जाता। वह स्वयं के होने से होता है। मनुष्य को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चार भागों में मनु महाराज ने नहीं बांटा। उन्होंने तो केवल जो चार वर्ण पहले से थे उनके कर्तव्य बताए हैं। 

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शंकराचार्य ने कहा कि आंबेडकर साहेब ने प्रस्ताव पारित कर कहा था आज से चार वर्ण नहीं होंगे। एक ही वर्ण होगा लेकिन आज तक तो ऐसा नहीं हुआ। डॉ.आंबेडकर ने समाज को दो वर्गों में जरूर बांट दिया एक आरक्षित वर्ग और दूसरा अनारक्षित वर्ग। बदले का बदला, बदले को ही बढ़ावा देता है। शूद्र को पैर की संज्ञा दी गई है। यदि यह अपमान है तो क्यों नहीं लोग अपने पैर काटकर फेंक देते। उन्होंने कहा कि जिस तरह हर मुसलमान के घर में कुरान होती है। इसाई के घर में बाइबिल होती है, उसकी तरह हर हिन्दू के घर में मनुस्मृति भी होनी चाहिए।