विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विकास योजना उत्थान इत्यादि चुनाव में खूब चर्चा का विषय रहता है, लेकिन जब बाजी खेली जाती है तो मामला जातिगत ही समझ में आता है. उत्तर प्रदेश में डैमेज कंट्रोल ने जुटी भाजपा सरकार अब कुर्मी वोटरों और नेताओं के सत्कार की व्यवस्था में लगी हुई है.
बीते लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोटर की उदासीनता के चलते भाजपा उत्तर प्रदेश में आधे पर आ गई. लिहाजा भाजपा के इस परंपरागत वोट बैंक को सहेज कर रखने के लिए सरकार ने जतन शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में यादव के बाद पिछड़ों में कुर्मी सबसे प्रभावशाली वोटर हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इस समाज के वोटरों ने बीजेपी को छोड़कर समाजवादी पार्टी का साथ दिया था. बीजेपी अब फिर से उपचुनाव से पहले माहौल ख़राब करने का रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
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उपचुनाव वाली ज़्यादातर सीटों पर निर्णायक भूमिका
आगामी उपचुनाव में ज्यादातर सीट पर कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में है, जिससे कि भाजपा खोना नहीं चाहती है. इसलिए कुर्मी विधायकों के साथ भाजपा लगातार संपर्क में है. साथ ही कुर्मी समाज के अन्य पदाधिकारियों और बड़े नेताओं के साथ भाजपा अपना सम्पर्क बनाये हुए है. मंझवा, खैर, कटेहरी, मिल्कीपुर इत्यादि सीट्स पर कुर्मियों की तादात अच्छी खासी है. जिसको की भाजपा अपने साथ जोड़े रखना चाहती है.
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