लखनऊ. पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं एमएलसी अहमद हसन की शनिवार की शुबह निधन हो गया. इसके बाद उनकी पत्नी नजमा बेगम भी सदमे में देर शाम चल बसीं. सुबह लोहिया अस्पताल में पूर्व कैबिनेट मंत्री का इलाज के दौरान निधन हो गया था. उनकी पत्नी अहमद हसन की मौत का सदमा नहीं बर्दाश्त कर पाईं. अहमद हसन के दुनिया से जाने के बाद उनकी पत्नि ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.

विधान परिषद में नेता विरोधी दल अहमद हसन (88) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार सुबह निधन हो गया. देर शाम उनकी पत्नी नजमा बेगम (80) का भी निधन हो गया. दोनों का लखनऊ के लोहिया संस्थान में इलाज चल रहा था. नजमा क्रिटिकल केयर यूनिट में वेंटीलेटर पर थीं. अहमद हसन को रविवार को अंबेडकरनगर के जलालाबाद स्थित पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. सियासत में कदम रखने से पहले अहमद ने पुलिस अफसर के रूप में काम किया. वे गोरखपुर व बरेली के एसएसपी भी रहे. वर्ष 1996 में सपा ने उनको विधान परिषद भेजा.

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अहमद हसन ने वर्ष 1958 में प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नौकरी शुरू की थी. उन्होंने गोरखपुर व बरेली में सर्वाधिक समय तक एसएसपी रहने का रिकॉर्ड भी बनाया. वह इटावा जिले के एसएसपी रहने के दौरान समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद नजदीक आ गए. वर्ष 1994 में सेवानिवृत्त होने के बाद मुलायम सिंह ने उनको अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया. वर्ष 1996 में सपा ने उनको विधान परिषद भेजा. 1996 में कल्याण सिंह की सरकार बनने के बाद मुलायम सिंह ने अहमद हसन को विधान परिषद में नेता विरोधी दल बना दिया. इसके बाद वह लगातार विधान परिषद के सदस्य रहे.

वर्ष 2003 में सपा की सरकार बनी तो मुलायम सिंह ने अहमद हसन को परिवार कल्याण मंत्री बना दिया. वर्ष 2007 में सपा चुनाव हार गई. पर, उनको एक बार फिर विधान परिषद में नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी दी गई. वर्ष 2012 में सपा की सत्ता में वापसी हुई. इस बार अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और उन्होंने अहमद हसन को पहले स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी दी. बाद में उनको बेसिक शिक्षा विभाग का मंत्री बना दिया गया. वर्ष 2017 में सपा चुनाव हार गई और तीसरी बार विधान परिषद में अहमद हसन नेता विरोधी दल बने. वे विधान परिषद में सपा का पक्ष मजबूती से रखने के लिए जाने जाते थे. अहमद हसन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के विश्वासपात्र नेताओं में से एक थे. वर्ष 2017 में जब सपा पर संकट आया और मुलायम कुनबे में विवाद हुआ तो वह अखिलेश यादव के पक्ष में मजबूती से खड़े रहे. अखिलेश यादव ने भी सत्ता जाने के बाद उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाया.