लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि यूपी की सभी सुरक्षित सीटों के लिए पार्टी विशेष रणनीति बना रही है. विधानसभा चुनाव में इस बार वर्ष 2007 की तरह ही नतीजे आएंगे.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि चुनाव की तैयारी में जुटें. सभी सुरक्षित 86 सीटों के विधानसभा अध्यक्षों को बुलाकर उन्हें चुनावी मैदान में जुट जाने को कहा गया है. मायावती ने कहा कि वे सभी अपने क्षेत्र में उसी तरह से तैयारी करेंगे जिस तरह वर्ष 2007 में की थी. उन्होंने कहा कि वह इन सभी सीटों पर तैयारियों की खुद समीक्षा करेंगी, साथ ही पार्टी के महासचिव सतीश मिश्रा को भी यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह इन सभी सीटों पर ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए समीक्षा करें और एक नया समीकरण तैयार करें. कहा कि बसपा 2007 के चुनाव की तरह 2022 में भी परिणाम देगी. उनका प्रचार करके ही जनता से समर्थन मांगेंगे.

मायावती ने कहा कि अपनी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक फोल्डर तैयार किया गया है, जिसे कार्यकर्ता गांव-गांव तक पहुंचाएंगे. एक नई रणनीति तैयार करने को भी कहा गया है. मायावती ने कहा कि उनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों को सपा और भाजपा अपना बताती रही हैं. ऐसे में लोगों तक यह जानकारी पहुंचाना बहुत जरूरी है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता के बीच वादों का पिटारा लेकर नहीं जाएगी, बल्कि उपलब्धियों के खजाने से लोगों को लुभाएगी. चार बार के शासन में हुए कार्यों का पत्रक (फोल्डर) तैयार कराया गया है. ये पत्रक आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा, ताकि लोग जान सकें कि इसी तर्ज पर बसपा विकास कार्य कराएगी.

उन्होंने कहा कि पार्टी घोषणापत्र जारी नहीं करती, बल्कि करके दिखाने में विश्वास करती है. बसपा ने देश की आजादी के बाद सबसे अधिक विकास कराया है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, सभी 75 जिलों के पदाधिकारियों से वार्ता कर रही हूं, लगातार रिव्यू जारी है. उन्होंने कहा कि वह इन सभी सीटों पर तैयारियों की खुद समीक्षा करेंगी साथ ही पार्टी के महासचिव सतीश मिश्रा को भी यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह इन सभी सीटों पर ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए समीक्षा करें और एक नया समीकरण तैयार करें. मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए हैं, लेकिन सरकार को किसान संगठनों के साथ बैठ कर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए, ताकि किसान खुशी-खुशी घर वापस जाकर अपने काम में लग जाएं. केंद्र सरकार को इस मामले को ज्यादा नहीं लटकाना चाहिए.