झांसी। चार दिन की कठिन तपस्या और अनुष्ठान के बाद व्रतियों ने उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत पूरा किया। बरसते बादल और मौसम की रुकावटें आस्था के आगे कमजोर साबित हुईं। छठ घाटों पर उत्साह, श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत संगम देखने को मिला।

देश की उन्नति की कामना

झांसी के विभिन्न छठ घाटों—पार्कों, तालाबों और नदियों के तटों पर सुबह से ही व्रती महिलाएं पारंपरिक पूजन सामग्री के साथ पहुंचीं। मध्यजल में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना कर व्रतियों ने परिवार की सुख-समृद्धि और देश की उन्नति की कामना की।

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छठ पर्व के चार दिन

नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य—के साथ पूर्ण होने वाले इस अनुष्ठान में भक्तों की अद्भुत श्रद्धा देखने को मिली। बादलों की बूंदों और ठंडी हवा के बीच भी श्रद्धालु बिना विचलित हुए डटे रहे। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि अनुशासन, शुद्धता और समर्पण की मिसाल भी है।

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स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने भी छठ घाटों पर साफ-सफाई, सुरक्षा और प्रकाश व्यवस्था की पुख्ता तैयारी की थी। श्रद्धालुओं ने छठ मैया से परिवार की मंगल कामना करते हुए पर्व को शांति और सौहार्द के साथ सम्पन्न किया।