लखनऊ. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की किसान विरोधी नीतियों की वजह से किसानों की आमदनी दोगुगी होना तो दूर की बात रही, खेती की लागत बढ़ती चली गई. बुधवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि पर पार्टी का श्वेत पत्र जारी किया. श्वेत पत्र का शीर्षक है ‘आमदनी न हुई दोगुनी, दर्द सौ गुना’.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी. केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की किसान विरोधी नीतियों की वजह से किसानों की आमदनी दोगुगी होना तो दूर की बात रही, खेती की लागत बढ़ती चली गई. उन्होंने कहा कि गाय को लेकर उत्तर प्रदेश में खूब राजनीति हुई. लोगों ने मवेशी रखना बंद कर दिया है और वे खुले में घूम रहे हैं. किसान या तो बाड़ लगाकर या फिर रतजगा कर अपनी फसल बचा रहे हैं. इससे भी कृषि लागत बढ़ी है गोशालाओं में गायें मर रही हैं, लेकिन गौशाला चलाने वाले मोटे जरूर हो रहे हैं. सत्तर के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आह्वान पर अन्नदाताओं ने हरित क्रांति लाकर देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की भलाई के लिए सबसे पहले उन्हें कर्जमुक्त करना जरूरी है. अगर यूपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो हम यूपी में भी गोधन योजना लागू करेंगे. छत्तीसगढ़ में किसानों से दो रुपये प्रति किलो गोबर खरीदा जाता है, जिससे किसान जानवरों को खुले में नहीं छोड़ते हैं. इस धन से किसानों को जानवरों के रखरखाव में भी मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि यूपी के लोग छुट्टा जानवरों से परेशान हैं. किसान खेतों में रातभर बैठे रहकर अपनी फसल का बचाव करते हैं. प्रदेश की जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है पर सरकार इन मुद्दों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है.

भूपेश बघेल ने यूपी में कांग्रेस को कमजोर बताए जाने पर कहा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस में अपना भविष्य देख रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का विस्तार हुआ है और अब लोग कांग्रेस को विकल्प के रूप में देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों पर जीएसटी लगाया. पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ने का प्रभाव भी कृषि की लागत पर पड़ा. उत्पादन लागत ज्यादा बढ़ी है और आय में वृद्धि कम हुई है. ऐसे में आमदनी दोगुनी करने का वादा बेमानी है. एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि किसान अपनी आजीविका के लिए मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं.