विक्रम मिश्र, लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 53वां जन्मदिन है, लेकिन इस 53 साल के पड़ाव में उन्होंने कई ऐसे मुकाम हासिल किए जिसका कोई सानी नहीं है. लगातार दो बार मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ का अयोध्या या यूं कहें कि गोरखनाथ मंदिर का अयोध्या से गहरा संबंध रहा है. राम जन्मभूमि आंदोलन में योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रम्भलीन अवैद्यनाथ महाराज ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, जबकि उन्हीं की प्रेरणा से योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदुत्व का परचम हाथ में उठाया था. आज अयोध्या में राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा है और आज ही मुख्यमंत्री का जन्मदिन भी है, राम मंदिर को लेकर माननीय सर्वोच्च का फैसला भी तब आया, जब गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ अब देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त हो चुके थे.

योगी आदित्यनाथ से जुड़ी कुछ खास बातें

असली नाम अजय बिष्ट अब योगी आदित्यनाथ के नाम से जाने जाते हैं. उनका जन्म 5 जून 1972 में उत्तरखण्ड के सुदूर इलाके पनचुर में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई लिखाई गढ़वाल से करने के बाद योगी ने हेमवतीनन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वो महंत अवैद्यनाथ के सम्पर्क में आए. 22 साल की उम्र में सन्यास लेने के बाद योगी ने कड़ा परिश्रम किया और आज इस मुकाम पर हैं.

महंत अवैद्यनाथ से मिलना भी संजोग ही था

अखिल भारतीय हिन्दू रक्षा परिषद आरएसएस का एक विंग था, जिसमें देश-दुनिया के संतों को जोड़ने और अलग-अलग कॉलेज औऱ विश्वविद्यालय में कार्यक्रम कर युवाओं को सनातन के प्रसार के लिए जोड़ने का कार्य सौंपा गया था. इस कार्य के लिए ही महंत अवैद्यनाथ जी को पौड़ी गढ़वाल का क्षेत्र दिया गया. यहां पर उनको हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के साथ राज्य के अन्य भागों में भी कार्यक्रम करना था. उस समय योगी आदित्यनाथ इसी विश्वविद्यालय से स्नातक कर रहे थे और छात्र राजनीति के साथ हिन्दू जागरण के लिए भी कार्य कर रहे थे. ऐसे में तब के अजय आज के योगी आदित्यनाथ को महंत जी की सेवा और कार्यक्रम करवाने के लिए नियुक्त किया गया. बस उन्होंने जिस तरह से कार्यक्रम का संचालन किया और ढेरो युवाओं को इस संगठन से जोड़ा, जिससे प्रभावित होकर महंत अवैद्यनाथ जी ने उन्हें गोरखनाथ मंदिर आने का न्योता दिया. हालांकि, उनके न्योते के बाद भी योगी लगभग 3 साल बाद गोरखपुर पहुंचे.

कर्म प्रथम-संवाद सहज

अजय सिंह बिष्ट अब गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में सेवादारी करने के साथ दीक्षित होने लगे. सुबह गौशाला में जाकर गौ की सेवा फिर मंदिर का रखरखाव और साफ-सफाई इत्यादि की ज़िम्मेदारी अजय ने बखूबी संभाली. जिससे प्रसन्न होकर महंत अवैद्यनाथ जी ने अपने अंतिम समय मे इनको दीक्षित कर अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया और नाम दिया योगी आदित्यनाथ.

यहां से शुरू हुआ सफर अनवरत जारी है

महंत जी से दीक्षित होने के बाद 26 साल की उम्र में ही योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल के बड़े राज्य और अंतरार्ष्ट्रीय सीमा से लगे गोरखपुर के सांसद बन गए. योगी आदित्यनाथ लगातार 5 बार 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही साथ वो गोरखनाथ मंदिर के भी महंत आज भी है.

महंत, सांसद से मुख्यमंत्री तक का सफरनामा

योगी आदित्यनाथ जिस संसदीय क्षेत्र गोरखपुर से आते हैं, उसे कभी प्रदेश का बीमारू राज्य कहा जाता था. यहां पर नदियों का कटान तो था ही साथ ही जापानी इंसेफलाइटिस नामक एक रहस्यमई बीमारी ने भी पांव पसार रखा था. योगी आदित्यनाथ के सांसद बनने के बाद उन्होंने गोरखपुर के विकास की गाथा लिखने की कोशिश शुरू की. इसके बाद जब वो सीएम बने तो फिर गोरखपुर को बीमारू जिले से उठाकर अब विकासशील जिले में शुमार कर दिया.