विक्रम मिश्र, लखनऊ. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ऑफिस के बाबू का नया कारनामा एक बार फिर सामने आया है. अल्ट्रासाउंड सेंटर कांड और इसमें बड़े पैमाने पर धनउगाही के बाद चिकित्सक नियुक्ति में भी भारी अनियमितता बरती गई है. विभागीय बाबू अब मामले को दबाने में जुटे हैं.

बताते चलें कि बीते 9 सितम्बर को संविदा पर चिकित्सकों की भर्ती वाक इन इंटरव्यू से किये जाने के सम्बन्ध मे विज्ञापन प्रमुख समाचार पत्रों मे प्रकाशित कराया गया. जिसके अनुसार 20 सितम्बर 2024 को वाक इन इंटरव्यू आयोजित किया जाना था. इंटरव्यू आयोजित भी हुआ. लेकिन इंटरव्यू का परिणाम नहीं आया. मगर संबंधित बाबू की ओर से चुनिंदा चिकित्सकों को फोन करके बुलाकर नियुक्ति पत्र गोपनीय तरीके से थमा दिए गए.

सैयां भये कोतवाल तो अब डर काहे का…

नियमानुसार यदि एनआईसी के पोर्टल पर साक्षात्कार के लिए विज्ञापन दिया गया है तो उसका परिणाम भी एनआईसी पोर्टल पर प्रकाशित किया जाना चाहिए था. लेकिन परिणाम एनआईसी पर प्रकाशित नहीं किया गया और न ही सीएमओ ऑफिस के सूचना पट्ट पर चस्पा किया गया. यहां पर जिन बाबू का जिक्र हो रहा है वो सीएमओ साहब के सबसे प्रिय बाबू हैं. तभी इन्हें सीएमओ ऑफिस के कई मलाईदार पटल सौंपे गए हैं. राय बाबू कमाल के हैं. तभी तो सीएमओ ऑफिस में उनकी तूती बोलती है. एक कहावत है की सैयां भये कोतवाल तो अब डर काहे का.