विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने पीएमडी दांव चलना शुरू कर दिया है. जिसके तहत पिछड़ा, मुस्लिम और दलितों को साधने के कोशिश कांग्रेस कर रही है. यूपी कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय कमेटी में शामिल कर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है.

इसे भी पढ़ें- ‘भाजपा = भू जमीन पार्टी, अयोध्या की भूमि भाजपाई सौदेबाजी और मुनाफाखोरी की हुई शिकार’, अखिलेश यादव का हमला

बता दें कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के खास माने जाने वाले शाहनवाज़ आलम और सुशील पासी को राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए बिहार का सहप्रभारी बनाया गया है. इसी प्रकार गुर्जर समाज से आने वाले विदित चौधरी को राष्ट्रीय सचिव की ज़िम्मेदारी के साथ हिमांचल और चंडीगढ़ की ज़िम्मेदारी दे दी गई है.


समाजिक न्याय के नारे से मिल रहा फायदा

कांग्रेस पूरे देश भर में सामाजिक न्याय के नारे के तहत अपने समीकरण को सेट करने में लगी हुई है. राहुल गांधी ने प्रयागराज में साफ-साफ कहा था कि जाति जनगणना और आरक्षण में 50 फीसदी की सीमा खत्म करना उनके लिए राजनीति नहीं है और भविष्य में अगर इससे नुकसान भी होता है, फिर भी मैं इसे करूंगा. राहुल के इस बयान से पिछड़ा सियासत को हवा मिल गई.

प्रयागराज में दिए इस बयान के बाद राष्ट्रीय सचिवों की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश की भागीदार बढ़ा दी गई. जिसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि पिछड़े मुस्लिम के साथ दलितों पर कांग्रेस की विशेष नज़र है, जिसमें की पासी समाज को लेकर कांग्रेस अपनी गुणा गणित को सेट करने में लग गई है.