उमंग अग्रवाल, कानपुर देहात. उत्तर प्रदेश के गांवों में भी अब तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. गांवों में महामारी ने अपने पैर पसार दिया है. प्रशासन भले ही आंकड़े छुपाए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. यहां गांव के गरीब लोग इलाज के आभाव में कोरोना से दम तोड़ रहे हैं. इनके शवों को श्मशान घाट पर कुत्ते नोच रहे हैं. फिर भी प्रशासन के पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है.

दिन-प्रतिदिन मरने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आज तक जिले में कोरोना से 46 मौतें हो चुकी है. वहीं अगर सूत्रों की माने तो सैकड़ों लोग कोरोना से दम तोड़ चुके हैं.  कानपुर देहात के ज्यादातर गावों में रोजाना कोरोना से कई मौतें हो रही हैं. प्रशासनिक अधिकारी मरीजों के लिए समुचित व्यवस्था करने के बजाय मरने वालों के आंकड़े छुपाने में लगे हैं. वहीं अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से रोजाना कई मरीजों की जाने जा रही हैं. उधर श्मशान घाटों पर भी स्थिति बड़ी ही बदहाल है. यमुना नदी में कई शव तैरते हुए साफ देखे जा सकते हैं. नदी के किनारे शवों को जानवर और कुत्ते नोच रहे हैं.

सभी जगह बड़ा ही भयावह मंजर देखने को मिल रहा है. उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात में भी हालत बद से बदतर नजर आ रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रोजाना कोरोना के लगभग 50 से 100 तक पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं मृतकों की संख्या आज तक 46 मौतों का आंकड़ा प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग बता रहे हैं. लेकिन श्मशान पर लगी शवों की कतार कुछ और ही बयां कर रही है. जनपद में कई दाह संस्कार ग्रहों पर दर्जनों शवों का दाह संस्कार होता है.

दरअसल, जनपद में कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों या सामान्य मौत की संख्या में काफी इजाफा है. जिसके चलते कानपुर देहात के कालपी चौरा के बीच मे पड़ने वाली यमुना नदी के किनारे बने शमशान घाट का नजारा दिल को झंगझोर कर देने वाला है. वहां पर जो गरीब परिवार के लोग है, जिनके घर पर खाने को नहीं है. इस बीमारी ने उनके घर पर तबाही ला दी है. ऐसे लोग जो अपने परिवार के लोगों का अंतिम संस्कार नहीं कर सकते, उनको सीधे नदी में बहा कर चले जा रहे है. ये लोग वहीं शवों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर है. यहां पर टहल रहे आवारा कुत्ते शवों को नोच रहे है. न तो यहां पर कोई प्रशासन ने व्यवस्था कर रखी है. कोई कुछ देखने वाला ही नहीं है.

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अब देखना यह होगा कि प्रशासनिक अधिकारियों की नींद कब खुलती और वह कब ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की जान बचाने के लिए आगे आते और अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्थाएं कराते.