लखनऊ. कोरोना की दूसरी घातक लहर के दौरान जेलों के लिए आज का दिन बड़ी उपलब्धि का है. जब प्रदेश की सभी 71 जेलों में किए गए कुल 968 कोविड टेस्ट में एक भी बंदी या स्टाफ पॉजिटिव नहीं मिला. यही नहीं पहले से संक्रमित बंदी भी तेजी से निरंतर ठीक हो रहे हैं और आज मात्र 89 कोविड संक्रमित रह गए हैं, जिसमें 66 बंदी और 23 स्टाफ हैं.
उपचार से ठीक होने की तीव्र दर को देखते हुए आगामी चंद दिनों में प्रदेश की सभी जेलों का कोरोना विहीन होना सम्भावित है. वर्तमान में प्रदेश की जेलों में कुल 1,06,964 बंदी हैं. बंदियों को कोविड से बचाने के लिए 51 अस्थाई जेलें बनाई गई हैं. जिनमें नए आने वाले बंदियों को 14 दिन रखकर कोविड टेस्ट नेगटिव होने पर स्थाई जेलों में भेजा जाता है. वहां फिर 14 दिन कोरेण्टाइन में रखकर नेगेटिव रहने पर ही अन्य बन्दियों के साथ रखा जाता है, अस्थायी जेलों में 3111 बंदी है. जबकि 71 स्थाई जेलों में 1,03,835 बंदी हैं.
45 साल तक के टीकाकरण के पात्र और उपयुक्त सभी बंदियों को टीका लगाया जा चुका है. अब इस आयु वर्ग के नित्य नए आए बंदियों को ही टीका लग रहा है. जबकि 18 से 44 आयुवर्ग के लिए तैयारियां जोरों से प्रक्रियाधीन हैं. विदित हो कि पहली लहर के लगभग 12 महीने के दौरान कोविड के अपेक्षाकृत कम घातक असर और कुशल प्रबंधन के चलते प्रदेश की जेलों में एक भी बन्दी की मृत्यु नहीं हुई. एकमात्र हेड जेल वार्डर की शहादत कोविड बंदियों का उपचार कराने के दौरान हुई थी.
कोविड की वर्तमान दूसरी लहर पहले की अपेक्षा जेलों के बाहर जनसामान्य के लिए बेहद कष्टकारी रही. तब भी माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जेलों के लिए समय समय पर दिए गए बहमूल्य दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए. डी जी जेल आनन्द कुमार द्वारा किए गए यौद्धिक रणनीतिक प्रबंधन के चलते इस लहर के घातक असर से कमोबेश बंदियों को बचा लिया गया. परिजनों से बंदियों की मुलाकात बंद करने और बाहर से आवागमन को सख्ती से प्रतिबंधित करने, जीवन रक्षक दवाओं, आक्सीजन सिलिंडर, कंसेंट्रटर, मास्क सैनिटाइजर पौष्टिक आहार योगा-व्यायाम और नियमित चिकित्सकीय सुविधा की पर्याप्त उपलब्धता जैसे कुशल प्रबंधन का ही यह परिणाम रहा. अन्यथा कुल नियत धारण क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा बंदियों वाली यूपी की ओवर क्राउडेड जेलों में कोविड ने काफी कोहराम मचाया होता. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अपराध के आंकड़े जारी करने वाली प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था एनसीआरबी के अनुसार पूरे देश की जेलों में वर्तमान में जितने बंदी निरुध्द है उनका लगभग एक चौथाई तो अकेले यूपी की जेलों में हैं.
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जेलों में ओवर क्राउडिंग की वजह से सोशल डिस्टेनसिंग का पालन कराना भी एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जेलों में जगह की कमी को देखते हुए बंदियों को दो माह के पैरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश के तहत अब तक अंतरिम जमानत पर 10560 विचाराधीन बंदी और पैरोल पर 2399 सिद्धदोष बंदी प्रदेश की जेलों से छोड़े जा चुके हैं.
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