प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने तलाक के मामले में पति की याचिका को खारिज कर दिया है. इस फैसले ने तलाक के मामले में ‘क्रूरता’ की परिभाषा को स्पष्ट किया है. कोर्ट ने कहा कि सास-ससुर की सेवा न करना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता.
दरअसल, ज्योतिष चंद्र थपलियाल नाम के पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी पत्नी से तलाक को लेकर याचिका दायर की थी. पति ने अपने तलाक के आवेदन में यह तर्क दिया था कि उसकी पत्नी ने सास-ससुर की सेवा नहीं की, और यही स्थिति उसके लिए सहनशीलता के बाहर की है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सास-ससुर की सेवा न करना स्वायत्तता का मामला है और इसे ‘क्रूरता’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने यह निर्णय देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि पारिवारिक विवादों और व्यक्तिगत असहमति को तलाक के आधार के रूप में नहीं स्वीकारा जा सकता.
कोर्ट ने माना कि पति द्वारा दायर तलाक याचिका में प्रस्तुत तथ्यों और दावों के आधार पर पत्नी के खिलाफ कोई भी गंभीर क्रूरता साबित नहीं हो पाई. सास-ससुर की देखभाल का मुद्दा एक पारिवारिक और सांस्कृतिक मामला है, जो केवल एक व्यक्तिगत असहमति के रूप में देखा जाना चाहिए.
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