प्रयागराज. महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) को अब 4 महीने से भी कम समय बच गया है. इसे देखते हुए योगी सरकार इस महाआयोजन की तैयारी में जुट चुकी है. इस महाकुंभ में अखाड़ों के साधु-संत राजसी वेश में पेशवाई निकालकर नगर प्रवेश करेंगे. साथ ही तीन प्रमुख स्नान पर्वों पर परंपरागत तौर पर शाही स्नान भी होगा. लेकिन इस बीच अब कुंभ में उपयोग होने वाले शाही स्नान (उर्दू) और पेशवाई (फारसी) जैसे शब्दों को लेकर चर्चा शुरू हो गई. इन शब्दों को बदलने की मांग उठ रही है.
संतों का ऐसा मानना है कि सनातन धर्मियों के आयोजनों में दूसरे धर्म के मानने वालों की बोली और भाषा छोड़कर संस्कृत और हिंदी भाषा के शब्दों का उपयोग होना चाहिए. इसके लिए नामों के सुझाव भी आए हैं. जैसे शाही स्नान की जगह अमृत स्नान, राजसी स्नान, त्रिवेणी स्नान और दिव्य स्नान किए जाने का सुझाव आया है. जो कि संतों ने दिया है. इसी तरह पेशवाई की जगह ‘संतों का नगर प्रवेश’ करने की मांग की जा रही है.
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जानकारी के मुताबिक प्रयागराज में जल्द ही अखाड़ा परिषद की बैठक होने वाली है. जिसमें विचार करके उचित फैसला लिया जाएगा. ये सभी 13 अखाड़ों से जुड़ा हुआ मामला है. ऐसे में इस पर अखाड़ा परिषद की बैठक में ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. क्योंकि गजेटियर समेत सभी सरकारी रिकॉर्ड पर पेशवाई और शाही स्नान जैसे शब्द ही लिखे हुए हैं और उनमें बदलाव हुए बिना इनका नाम नहीं बदला जा सकता.
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