सुधीर सिंह राजपूत, मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही कानून व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करे, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। मिर्जापुर के कछवा क्षेत्र से एक विकलांग पति-पत्नी अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पहुंचे। उनका आरोप है कि घर बनाने के दौरान उनके पाटीदारों ने उन पर जानलेवा हमला किया, लेकिन पुलिस ने उल्टा उन्हें ही थाने में बंद कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित राजेंद्र कुमार गोंड और उनकी पत्नी सरिता कछवा थाना क्षेत्र के निवासी हैं। उन्होंने गोपाल विश्वकर्मा पुत्र बुद्धू विश्वकर्मा से एक जमीन खरीदी थी और उस पर निर्माण कार्य करवा रहे थे। इसी दौरान सोमारू राम गोंड, जगलाल गोंड, कृष्ण मोहन उर्फ राजू गोंड, शिवमोहन, राम बली गोंड और श्याम बली गोंड (सभी निवासी बंधवा) ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया।
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पुलिस मूकदर्शक बनी रही
पीड़ितों का कहना है कि घटना के समय 112 पुलिस भी मौके पर पहुंची थी, लेकिन हमलावरों को रोकने के बजाय पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में पुलिस ने घायल दंपति को मेडिकल कराने के बहाने थाने बुलाया, लेकिन वहां कछवा थाने के रणविजय सिंह और संतोष कुमार यादव ने उन्हें सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक हवालात में बंद रखा।
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न्याय की तलाश में पहुंचे मुख्यमंत्री के पास
पीड़ित दंपति ने जब देखा कि स्थानीय प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा, तो वे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। उन्होंने सरकार से न्याय की गुहार लगाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब सवाल यह उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश में कानून सिर्फ ताकतवर लोगों के पक्ष में काम कर रहा है? जब पुलिस के सामने ही एक विकलांग दंपति को पीटा जाता है और फिर उन्हें ही हिरासत में डाल दिया जाता है, तो आम जनता को न्याय कहां मिलेगा?
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