मेरठ. अब किसान आंदोलन की आग उत्तर प्रदेश में तेज हो गई है. 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में लाखों किसानों ने महापंचायत की. यहां भारी जन सैलाब उमड़ा था. अब किसानों ने पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में भी मिशन यूपी की शुरुआत की है. किसान आंदोलन का जोर यहां भी पकड़ चुका है. अब योगी सरकार के निशाने पर वेस्ट यूपी के किसान आ गए हैं. पश्चिमांचल के 14 जिलों में ट्यूबवेल पर मीटर लगाने का काम शुरू हो गया है. बिजली की खपत मापने के लिए नलकूप पर मीटर लगाई जा रही है. किसानों को डर है कि मीटर से सरकार बिल वसूलेगी.
बता दें कि अब तक फिक्सड दरों से बिल वसूली होती है. किसान आंदोलन के चलते सरकार ने फैसला लिया है कि ट्यूबवेल पर मीटर लगाई जाए. वेस्ट यूपी में 15 लाख से अधिक बिजली नलकूल है. किसान मीटर लगाने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. वहीं ऊर्जा मंत्री से लेकर एमडी पीवीवीएनएल ने कहा कि किसानों के कनेक्शन पर मीटर सिर्फ ऊर्जा की खपत मापने के लिए लगाए जा रहे हैं. बिजली बिल से इसका कोई संबंध नहीं है. किसानों से पहले की तरह फिक्स दरों पर ही बिजली बिल वसूले जाएंगे. उधर, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और किसान सरकार के फैसले को गलत ठहरा रहे हैं.
पश्चिमांचल के 14 जिलों में करीब 67 लाख उपभोक्ताओं में से किसानों के बिजली कनेक्शनों की संख्या करीब 15 लाख के आसपास है. उपभोक्ताओं के कनेक्शनों पर पुराने मीटर हटाने के साथ ही स्मार्ट मीटर लगाए गए. वहीं गांवों में भी स्मार्ट मीटर लगा दिए गए हैं. ऐसे में लोगों की शिकायतें हैं कि स्मार्ट मीटर तेज चल रहे हैं, जिससे वे परेशान हैं. अब किसानों के कनेक्शनों पर भी मीटरिंग हो रही है. पश्चिमांचल के सभी 14 जिलों में किसानों के ट्यूबवेलों पर मीटर लगाकर बिजली खपत मापी जाएगी. ऐसे में किसानों को डर है कि कहीं मीटर आधारित बिलिंग शुरू न हो जाए.