लखनऊ। बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की रिमांड समाप्त हो गई है। 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उन्हें लखनऊ जेल भेजा गया है। पूछताछ में पूर्व विधायक ने ईडी का सहयोग नहीं किया और बार-बार संपत्तियों को छुपाने का प्रयास किया । इस दौरान विनय शंकर तिवारी ने कहा कि राजनीति में व्यस्त था, कंपनी को नुकसान हुआ। उसने बैंकों की भारी रकम डूबने की बात स्वीकार की।
बेनामी संपत्तियों को लेकर की पूछताछ
बताया जा रहा है कि ईडी ने पूर्व विधायक से 60 से अधिक बेनामी संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया। इस दौरान विनय शंकर तिवारी ने ज्यादातर सवाल का गोलमोल जवाब दिया । बता दें कि सपा नेता विनय शंकर तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज विवादों से घिरी हुई है। कंपनी पर आरोप है कि कई बैंकों से लोन लेकर पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है। पैसे जिस प्रोजेक्ट के लिए लिए गए थे, उसमें निवेश न करके दूसरी जगह लगा दिए गए। इसी मामले में ईडी की टीम ने दबिश देकर जांच की और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस समेत कई दस्तावेज जब्त किए हैं।
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गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ बैंक ऑफ इंडिया ने CBI से शिकायत करते हुए केस दर्ज कराया था। कंपनी ने बैंक से 200 करोड़ का लोन लिया था। जिसके बाद मामले की जांच हुई तो मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया और फिर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ कार्रवाई की। पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की 72.08 करोड़ रुपये की संपत्तियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नवंबर 2023 में पहले ही जब्त कर चुकी है। ईडी ने यह कार्रवाई विनय तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस लिमिटेड की ओर से बैंकों के कंसोर्टियम का करीब 1129.44 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में की थी।
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