लखनऊ. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अशोक सिंह ने भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के आकंठ भ्र्ष्टाचार में डूबे होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आपदा में अवसर तलाशने वाली प्रजाति के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी द्वारा अपने भाई अरुण द्विवेदी के लिए किया गया फर्जीवाड़ा तो एक बानगी है. आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के कोटे में सत्ता का दुरुपयोग करते रंगे हाथ पकड़े गए. मंत्री व उनके परिवार ने कई सौ करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां कम आय होने के बाद कैसे अर्जित की है, इसकी जांच ईडी के माध्यम से हाइकोर्ट के कार्यरत जज की निगरानी में होनी चाहिए.
अशोक सिंह ने कहा कि भाई को नौकरी दिलाने से लेकर मंत्री बनने के बाद अपने परिवारजनों के नाम से सम्पत्ति खरीदने वाले मंत्री की सरकार से तत्काल बर्खास्तगी होनी चाहिए. जिससे जांच प्रभावित न होने पाए. उन्होंने कहा कि पूरी सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है. सवाल उठाने वालों को योगी सरकार प्रताड़ित कर लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतारू है. व्यवस्था के संरक्षण में भ्र्ष्टाचार चरम पर है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने सरकार पर भ्र्ष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा मंत्री ने मंत्री होने के बाद कई सौ करोड़ की नामी बेनामिया सम्पत्तियां भ्र्ष्टाचार करके अर्जित की है, इसकी हाइकोर्ट के वर्तमान जज की निगरानी में ईडी से जांच कराई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि निर्धनों के अधिकार पर खुलेआम डाका डालने वाले मंत्री बताए की करोड़ो की सम्पत्ति मंत्री बनते ही कहा से अर्जित की मंत्री के रूप में मिलने वाले वेतन से क्या वह इतनी सम्पत्तियां क्रय कर सकते थे? उन्होंने कहा कि योगी मंत्रीमंडल के अनेक सदस्यों ने जमकर भ्र्ष्टाचार किया है और सरकार के मुखिया ने एक भी कार्रवाई नहीं की इसका मतलब है कि भ्र्ष्टाचार को पूरा संरक्षण कौन दे रहा है? उन्होंने सवाल उठाते मुख्यमंत्री से पूछा है कि अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों व सरकार की विफलताओं की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने वाली सरकार आखिर अपने मंत्री के विरुद्ध कब मुकदमा दर्ज कराएगी कब उन्हें मंत्रीमंडल से बर्खास्त करेगी.
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कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि बेसिक शिक्षा मंत्री व उनके भाई अरुण द्विवेदी पर फर्जीवाड़ा कर नौकरी हथियाने के षड्यंत्र के रंगे हाथ पकड़े जाने पर मुकदमा दर्ज कराया जाए. समय सीमा पार कर चुके अवैध आय प्रमाणपत्र की जानबूझकर अनदेखी करने वाले सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति व सम्बन्धितों के विरुद्ध तथ्य छुपाकर नियुक्ति व ज्वाइनिंग कराने के आरोप में मुकदमा हो. मंत्री के रूप में आय से अधिक संपत्ति परिवारजनों के नाम खरीदने के दस्तावेज सामने आने के बाद सरकार हाइकोर्ट के वर्तमान जज की निगरानी में ईडी से जांच कराए, क्योंकि यह मनीलांड्रिंग का मामला है. उन्होंने कहा कि मंत्री के भाई से इस्तीफा दिला देने से यह प्रकरण समाप्त नही हुआ है, क्योंकि भ्र्ष्टाचार की परतें उखड़ने लगी है. जनता के साथ छल करने वाली सरकार बेनकाब होने लगी है. भ्रष्टाचारीयों को माफ नहीं किया जा सकता है.
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