लखनऊ। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने मानसून सत्र के प्रत्येक सत्र में विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही में दृढ़ता से विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए नगर विकास एवं ऊर्जा विभाग के विजन को रखा। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सूखे और बाढ़ की स्थिति से बड़ी ही सक्षमता बहुत ही सक्रियता के साथ बिजली विभाग ने काम किया। प्रदेश में ऐतिहासिक और देश में सर्वाधिक बिजली हमने दिया। और यही क्रम लगातार तीन वर्ष से बना हुआ है। 2017 के पूर्व गाँव और कस्बों में तो बिजली आती ही कहां थी कि उनका जाना न्यूज़ बने। विपक्ष कहता है कि बाढ़ सूखा तो पहले भी होता था। इतनी समस्या बिजली को लेकर नहीं दिखती थी। 2017 के पूर्व लोगों को फ़र्क़ इसलिए नहीं पड़ता था कि बिजली थी ही नहीं। सूखा है तो भी बिजली नहीं। सूखे के पहले भी नहीं सूखे के बाद भी नहीं।
आज बिजली की जरूरत ज़्यादा
मंत्री एके शर्मा ने कहा कि बाढ़-आंधी-तूफ़ान के बिना भी बिजली नहीं। आंधी तूफ़ान में भी नहीं। उसके बाद भी नहीं। बाढ़-सूखे, आंधी-पानी और बिजली का कुछ लेना देना नहीं था। अब बिजली है। दी जा रही है इसलिए लोगों के जीवन में महत्व है इसका और इसीलिए इसके आने और जाने से अब फ़र्क़ पड़ता है। पाँच मिनट बिजली न रहे तो न्यूज़ बन जाती है। पहले पाँच-पाँच दिन का रोस्टर होता था। चल जाता था। सामान्य जनजीवन में आज बिजली की जरूरत ज़्यादा है। बिजली की माँग अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। बिजली न होने की परिस्थिति की सहनशीलता भी कम हुई है। हम इस बात को समझते हैं और इसे चुनौती मानकर अपनी व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त बनाते हुए देश ही नहीं दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विद्युत व्यवस्था बनाना चाहते हैं।
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भारत ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हुआ
मंत्री एके शर्मा ने प्रदेश की जनता को आश्वस्त किया की हमारे समय में बिजली का उत्पादन बढ़ा है, आपूर्ति बढ़ी है और उसे हर जगह पहुँचाने वाली अवसंरचना भी मजबूत हुई है। और भी बेहतरी लाने का यह कार्य निरंतर जारी है। अगर विपक्ष की सरकारों ने अपने लंबे शासनकाल में इसकी एक चौथाई भी चिंता की होती तो भाजपा को विरासत में देश और प्रदेश की ऐसी खस्ताहाल व्यवस्था नहीं मिली होती। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पहली बार भारत ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिजली प्रबंधन सहित सुशासन देने की राह में हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं अपने से है। हम जनता की जो सेवा कर रहे हैं उससे हर पल, हर रोज़ बेहतर करना चाहते हैं। जो आज है उससे बेहतर कल हम लोगों को देना चाहते हैं। हम उपभोक्ता को देवता मानते हैं और इसी भावना से उसकी थोड़ी सी भी पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकते। हमारी जद्दोजहद इसी मंशा से है।
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एके शर्मा ने इन बातों का किया जिक्र
- कांग्रेस का लंबा समयकाल सर्वत्र अंधकार का और उसे मिटाने के लिए मात्र टिमटिमाते दिए का था। नीम के तेल का दिया और मिट्टी के तेल की ढेबरी में कई पीढ़ियों ने अपना जीवन बिता दिया।
- अंधेरे और अंधेरगर्दी से भरे समाजवादी पार्टी के चार-चार शासनकाल के बाद 2012-17 में बिजली की औसत पीक डिमांड 13000 MW थी; जबकि पिछले तीन वर्षों का औसत है 30000 MW-यानी कि आपका अढ़ाई गुना।
- किसानों और कृषि की बात करें तो आपका जमाना rahat और ढेकुल का था। ७० वर्षों में विपक्ष की सरकारों ने लगभग दस लाख किसान नलकूप के कनेक्शन दिए। हमनें आठ साल में ही पाँच लाख दिए। उसका आधा हमारे समय में दिया है। और बिजली बिल भी माफ कर दिए हैं।
- 2017 की अपेक्षा लगभग दो गुने से ज़्यादा उपभोक्ताओं को आज बिजली दी जा रही है। 70 वर्षों में 180/ सात वर्षों 360 में उसका डबल।
- आपके समय के छोड़े गए लगभग 1.50 लाख मजरों का विद्युतीकरण अब किया गया है। आज़ादी से २०१७ तक केवल १.२८ लाख मजरों में बिजली पहुंची थी। अब अढ़ाई लाख से ऊपर।
- 2017 में यूपी में बिजली का अपना ख़ुद का अधिकतम उत्पादन 5160 MW था जो 2022 में बढ़कर 5820 MW हुआ और आज 9120 MW है-यानी कि आपका लगभग दोगुना।
- सभी स्रोतों से 2017 में यूपी में 11803 MW विद्युत उपलब्ध थी जो 2022 में बढ़ाकर 15395 MW हुई और आज 2025 में यह 20038 MW है- यानी कि आपके समय की लगभग दो गुनी।
- इसी प्रकार की ऐतिहासिक वृद्धि ट्रांसमिशन क्षेत्र में हुई है। 2017 में बड़े उपकेंद्रों की कुल क्षमता 39000 MVA थी जो 2022 में बढ़कर 1 lakh MVA हुई और आज 2025 में यह 2 लाख MVA है- यानी कि आपके समय की लगभग 6 गुनी।
- हाई वोल्टेज की विद्युत लाइन की बात करें तो 70 वर्षों के आपके प्रयास से 33 हज़ार सर्किट किमी थी जो अब 58 हज़ार सर्किट किमी हो गयी है। यानी की आपकी दो गुना।
- उसी प्रकार डिस्ट्रीब्यूशन क्षमता में भी अपार वृद्धि हुई है।
- उदाहरण के रूप में आपके समय के छोड़े हुए 1.59 लाख किमी जर्जर तार पिछले तीन वर्ष में बदले गए हैं।
- आपके समय से लटकते-टूटते 29 लाख खंभों को नए खंभों से तीन साल में ही बदला गया है।
- आपके समय कुछ चुनिंदा जिलों और गांवों में बिजली आती थी। आज हर गांव, हर नगर, हर जिले, हर दुकान, हर प्रतिष्ठान और सब जगह पर बिजली दी जा रही है।
- आपके समय बिजली के तार और खंभे बहुत जगह थे ही नहीं। और जहाँ थे वहाँ बच्चों के झूला झूलने और गृहस्थों के लिए कपड़ा सुखाने के ही काम आते थे। अब उनमें बिजली निरंतर दौड़ती है।
- आपके समय जब हफ़्ते दस दिन में बिजली आती थी तो अखबारों की सुर्खियाँ बनती थीं। आज हम 18 से 24 चौबीस घंटे हर जगह दिन-रात बिजली देने का प्रयास कर रहे हैं। हाँ उसमें कभी-कभार स्थानिक व्यवधान आता है तो भी बड़ी न्यूज़ बनती है।
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