गाजियाबाद. लोनी के मंडोला गांव में यूपी आवास एवं विकास परिषद की मंडोला विहार योजना है. जिसके अंतर्गत अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के किसान पिछले लगभग 5 सालों से उचित मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन शासन और प्रशासन से कई बार बात होने के बावजूद भी समस्या ज्यों की त्यों है. अब इन किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि, अगर 14 सितंबर तक इनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो 15 सितंबर को धरने पर बैठे किसान धरना स्थल के पास खाली पड़े खेत में जिंदा समाधि ले लेंगे.
लोनी इलाके में आवास एवं विकास परिषद ने मंडोला, नानू ,पंचलोक, लुतफुल्लापुर नवादा, अगरोला, मिलक बामला यानी 6 गांवों की 2614 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया, लेकिन शुरू से ही यहां के किसान उचित मुआवजे की मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन करते चले आ रहे हैं. किसानों ने खेत में गड्ढे खोदकर तैयार कर लिए हैं. किसानों की मांगे पूरी नहीं होने पर वे 15 सितंबर को जिंदा समाधि लेंगे. किसानो का आरोप है कि, पिछले 5 सालों से कई बार शासन प्रशासन के अधिकारियों से इस बारे में वार्ता भी हो चुकी है. लेकिन अभी तक भी कोई नतीजा नहीं निकला है. पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में भी यहां के किसानों की यही हालत थी. इसके बाद किसानों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार में उम्मीद थी, लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है.
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किसान आंदोलन के सह संयोजक नीरज त्यागी ने बताया कि आवास एवं विकास परिषद ने इस इलाके के 6 गांव के करीब 2000 किसानों की 2614 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए सन 1998 पहली अधिसूचना जारी की. जिसके बाद पूरे इलाके में खरीद-फरोख्त और ट्यूबवेल बोरिंग लगाने और मकान बनाने पर पाबंदी लगा दी गई. त्यागी ने बताया कि 2006 में शासन ने इस योजना को स्थगित कर दिया था. स्थगित होने के बाद किसानों ने कहा कि यदि जमीन लेनी है तो सरकार को नए सिरे से नोटिफिकेशन किया जाए. लेकिन आवास विकास एवं परिषद ने इमरजेंसी क्लॉज (भूमि अधिग्रहण नियम की धारा 7/17) मंजूरी ली. अधिकारियों ने किसानों पर दबाब बनाया कि इमरजेंसी क्लॉज के बाद यह जमीन आपको देनी ही होगी. तो वहीं, सभी तरह की पाबंदी लगने के बाद 2008 और 2009 में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया.
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