प्रयागराज. उस धर्म के सामने सब धर्म नजर नहीं आते है, जिसका नाम मानवता है. क्योंकि यह किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता. न जात-पात, न काला-गोरा, न अमीर-गरीब, ना धर्म-अधर्म सभी के लिए समान नजर से सेवा करने वाले फैजुल मिसाल हैं.

प्रयागराज संगम नगरी में कोरोनाकाल में योद्धा बन मेडिकल टीम बेहतर काम कर रही है, तो वहीं लोगों के बीच ऐंबुलेंस की डिमांड भी ज्यादा है. ऐसे में कभी-कभी लोगों को ऐंबुलेंस और शव गाड़ी न मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा. इन्हीं सबके बीच प्रयागराज के रहने वाले फैजुल एक ऐसे शख्स हैं, जो पिछले कई सालों से नि:शुल्क शव वाहन से लोगों को अपनी सेवा दे रहे हैं. किसी के भी एक बार के बुलावे पर उनके घर से शव को श्मशान घाट तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. इसके एवज में कोई भी पैसा नहीं लेते हैं.

अपने पैसे और चंदे के पैसे मिलाकर खरीदी गाड़ी

प्रयागराज अतरसुइया के किराए के मकान में फैजुल अपने मम्मी के साथ रहते हैं. अब्बू का कई साल पहले इंतकाल हो चुका. फैजुल के दो भाई हैं, जो अलग रहते हैं. फैजुल पिछले 10 सालों से डेड बॉडी उठाकर श्मशान घाट तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. फैजुल पहले ट्रॉली से काम किया करते थे. ट्रॉली से कमाए 40 हजार रुपए इक्क्ठा किया. इसके अलावा कुछ पैसे चंदा कर 80 हजार की नीलामी से गाड़ी खरीदी. इसको शव वाहन में तब्दील करवा दिया.

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इंशानियत की बनी मिसाल 

ऐसा नहीं कि इस गाड़ी से सिर्फ लोगों के शव को श्मशान घाट तक पहुंचाते हैं. फैजुल बकायदा शव को कंधा भी देते हैं. खास बात फैजुल इसके एवज में कोई पैसा नहीं लेते. अगर कोई स्वेच्छा से पैसे देता है, तभी लेते हैं. फैजुल गाड़ी चलाने के लिए एक ड्राइवर भी रखा है, जो कुछ पैसा मिलता है, इस ड्राइवर को देते हैं.

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