प्रयागराज- प्रयागराज के स्वरूपरानी मेडिकल कॉलेज में आज एक मरीज की मौत के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया. मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हिंसक रुप धारण कर लिया. इस दौरान डॉक्टरों और परिजनों के बीच जमकर हाथापाई हुई,जिसमें कई लोग घायल हो गये.
मामला प्रयागराज के स्वरूप रानी जिला अस्पताल का है,जहां पर कथित रुप से ऑक्सीजन एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमीं के चलते एक मरीज की जान चली गई. मरीज की मृत्यू के बाद आक्रोशित परिजनों ने रेजिडेंट डॉक्टरों के ऊपर हमला कर दिया,जिससे कई डॉक्टर घायल हो गए. इस दौरान डॉ रावत बुरी तरीके से घायल हो गए, जिससे आक्रोशित होकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी परिजनों के ऊपर हमला कर दिया. डॉक्टरों द्वारा किये गये हमले में 4 लोग बुरी तरीके से घायल हो गए.
मारपीट की इस घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने वार्ड के बाहर ही सामूहिक रुप से धरना दे दिया और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा कायम कर गिरफ्तारी की मांग करने लगे. काफी देर तक चले हंगामें के बाद जिलाधिकारी प्रयागराज भानु चंद्र गोस्वामी ने समझा कर शांत किया.
जिलाधिकारी से बातचीत के दौरान डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के अंदर मूलभूत सुविधाओं की कमी है और छोटी से छोटी चीज जिनको अस्पताल प्रशासन समय रहते दे सकता है, वह भी बाहर से मंगवाना पड़ता है. डॉक्टरों ने कहा कि जिला अस्पताल के अधीक्षक न उनकी बात सुनते हैं और ना ही मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु कोई कदम उठाते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की खरीद-फरोख्त के लिए 80 करोड़ से ज्यादा का फंड हाल में दिया है और 300 करोड़ के आसपास का बजट पिछले 3 महीनों में पारित किया है, ताकि कहीं पर भी किसी प्रकार की मूलभूत आवश्यक वस्तुओं की कमी ना हो
डॉक्टरों ने बताया कि यहां आने वाले मरीजों के लिए बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद के लाना पड़ता है. जिलाधिकारी ने डॉक्टरों को आश्वस्त किया कि वे उनकी तमाम शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समस्या समाधान की कोशिश करेंगे.जिलाधिकारी ने कहा कि वे जल्द ही एक आपातकालीन मीटिंग बुलायेंगे,जिसमें 15 सदस्यीय रेजिडेंट डॉक्टरों की एक टीम पहुंचेगी और वह इस विषय में पूर्ण जानकारी देगी.
यह पहली बार नहीं है कि स्वरूप रानी अस्पताल में इलाज और सुविधाओं के अभाव में रोगी की मौत हुई हो या परिजन और डॉक्टरों के बीच में झगड़े हुए हों, लेकिन सच्चाई तो यह है कि अस्पताल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार ऐसी घटनाओँ को गंभीरता से नहीं लेते,जिससे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है.