विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा के घेराव का ऐलान करने वाली कांग्रेस अब आर पार की लड़ाई के मूड में आ गई है. सियासी समीकरण को समझते हुए अगड़ों के साथ पिछड़ों का तालमेल बनाकर कांग्रेस अल्पसंख्यको के सहारे सत्ता को सिरहाने रखना चाह तो रही है, लेकिन समीकरण में कुछ खाने सपाई गुणा गणित से ही साधे जा सकते है ये बात कांग्रेस को बेहतर ढंग से पता भी है. इसीलिए कांग्रेस ने अब अपना प्लान बदल दिया है.
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राजधानी में प्रदर्शन और दिल्ली में कॉम्बैट
यूपीसीसी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने जब विधानसभा घेराव का ऐलान किया तो ठीक उसी समय दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी संसद भवन के प्रवेश द्वार पर आंदोलन शुरू कर दिया था. मसौदा साफ है कि जहां कहीं भी एनडीए की सरकार है तो इंडी गठबन्धन उसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी.
शोकसभा में बिन बोले ही दे गए बड़ा संदेश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर लगातार ब्राह्मण विरोधी होने का एक आरोप लगता रहता है, जबकि दो दिन पहले कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मृत्यु के अब कांग्रेस भुनाने के मूड में दिख रही है. मृतक कार्यकर्ता प्रभात पांडेय की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए जब प्रदेश अध्यक्ष अजय राय निकले तो बाकायदा एक बड़ा काफिला उनके साथ था, लेकिन जब उनको पुलिस ने रोका तो उन्होंने इसके विरोध स्वरूप धरना दिया. अंततः जब वो गोरखपुर के सहजनवा पहुचे तो उन्होंने ज़मीन पर लेटकर प्रभात पांडेय के पार्थिव शरीर को प्रणाम किया.
संदेश साफ है अगड़ों के साथ पिछड़े से तालमेल
कांग्रेस अब सपा के साथ अन्य दलों के नेताओ को भी स्पष्ट संदेश दे रही है, जिसके लिए कांग्रेस ने अब जोड़ तोड़ भी शुरू कर दिया है. उप चुनाव के समय चाहे वो जाहिद बेग से मुलाकात हो या फिर आज़म का हालचाल लिया हो या सम्भल और बहराइच का मामला हो, हर मोर्चे पर कांग्रेस ने खुलकर सड़को पर प्रदर्शन किया था.
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