रायबरेली. यूपी पुलिस के लिए ‘निकम्मा’ शब्द भी छोटा लगता है. छोटा इसलिए भी है, क्योंकि योगी सरकार की पुलिस ने कारनामा ही कुछ ऐसा किया है. एक युवती का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने एसपी ऑफिस के सामने न्याय की गुहार लगाई. ये बात अलग थी कि युवती ने न्याय न मिलने से क्षुब्ध होकर एसपी ऑफिस के बाहर हंगामा किया. युवती ने घूसखोर सिस्टम पर घूस लेने का भी आरोप लगाया था. उसके बाद क्या था यूपी पुलिस ने पोल खुलती देख मदद करने की बजाय उसे जेल में डाल दिया. वहीं अखिलेश यादव ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फेल सरकार बताया है. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या योगी सरकार की पुलिस लोगों को न्याय दिलाने के लिए बैठी है या खाक छानने के लिए? क्या डबल इंजन सरकार में ऐसे ही लोगों को न्याय दिया जाएगा?
बता दें कि जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में रचना मौर्य नाम की युवती अपनी शिकायत लेकर पहुंची थी. इस दौरान उसे एसपी डॉक्टर यसवीर सिंह से पुलिस वालों ने नहीं मिलने दिया. जिससे नाराज युवती बाहर आने के बाद पुलिस के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करने लगी, इसी दौरान ड्यूटी पर तैनात महिला सिपाहियों ने उसे रोक तो वह और चिल्लाने लगी. लगभग 1 घंटे तक वह कार्यालय के बाहर हाई वोल्टेज ड्रामा करती रही. मामला गंभीर होने पर महिला पुलिस बल ने उसे जबरन जीप में ठूसकर महिला थाने ले गई और जेल में डाल दिया. युवती ने चिल्ला-चिल्लाकर शहर कोतवाल पर 20 हजार रुपए लेने का गंभीर आरोप लगाया है.
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दरअसल, कोतवाली क्षेत्र के बस्तेपुर निवासी रचना मौर्य का बीते दिनों मुहल्लेवासियों से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था. पुलिस की मौजूदगी में मुहल्लेवासियों ने उसे मारा था. जिसको लेकर वह न्याय को लेकर रायबरेली से लखनऊ तक चक्कर लगा चुकी है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिल सका. उसी बात को लेकर वह एसपी से मिलने पहुंची थी. वहीं शहर कोतवाल राजेश सिंह का कहना है पुलिस पर लगाए गए आरोप निराधार है.
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