गोविंद पटेल, गोरखपुर. एक ओर सरकार “डबल इंजन” की रफ्तार से विकास के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर की हकीकत इन दावों को मुंह चिढ़ा रही है. सड़कें बदहाल हैं. लेकिन क्षेत्र के सांसद रवि किशन जनता की समस्या को छोड़कर संसद में समोसे के साइज का मुद्दा उठाने में मस्त हैं. अब ‘विकास’ के गड्ढे लोगों के लिए काल बनते नजर आ रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री और सासंद का इस ओर ध्यान नहीं है. लगता है विकास को हवे की सैर पर भेज दिया गया है. विकास जमीन पर नहीं दोनों नेताओं के जुबान तक सीमित नजर आ रहा है.
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बता दें कि पूरा मामला चरगांवा ब्लॉक के बंजरहा ग्रामसभा के बनगाई टोले से गुजरने वाली सड़क का है, जो अब सड़क नहीं, बल्कि गहरे और खतरनाक गड्ढों की श्रृंखला में तब्दील हो चुकी है. यह सड़क गुलरिया थाने के पास से शुरू होकर झुनिया गेट तक जाती है और दर्जनों गांवों के लोगों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है, लेकिन अब यह मार्ग इतना खस्ताहाल हो चुका है कि साइकिल, बाइक तो छोड़िए, पैदल चलना भी जोखिम भरा है. सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों को होती है, जिन्हें रोजाना जान जोखिम में डालकर इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है.
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हैरत की बात यह है कि यह मार्ग गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है और सांसद रवि किशन हैं. बावजूद इसके न सांसद की नजर इस जमीनी मुद्दे पर पड़ी, न ही विभागीय अधिकारियों की. न कोई निरीक्षण, न मरम्मत, न टेंडर और न ही कोई कार्य योजना. यह सड़क खुद अपनी बदहाली की गवाही दे रही है.
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नींद में नेता और अधिकारी?
ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दौरान यह सड़क कीचड़ और पानी से लबालब भर जाती है, जिससे फिसलकर गिरने की घटनाएं आम हो जाती हैं. कई बार लोगों ने शिकायत की, लेकिन हमेशा “जांच कराएंगे” और “देखते हैं” जैसे जवाबों से ही काम चलाया गया. एक तरफ सरकार स्मार्ट सिटी और अमृत मिशन जैसी योजनाओं का ढोल पीटा जा रहा है. वहीं दूसरी ओर गोरखपुर जैसे वीआईपी जिले में ही सड़कों की यह हालत सरकारी तंत्र की उदासीनता को उजागर करती है. अब सवाल यह उठता है कि क्या नेताओं और अधिकारियों की नींद किसी बड़े हादसे के बाद ही खुलेगी या फिर यह सड़क यूं ही अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहाती रहेगी?
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