गोविन्द पटेल, गोरखपुर. मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में एक बार फिर परिषदीय विद्यालय की दुर्दशा सामने आई है. विकास के दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं. विकास के नाम पर बच्चों के जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. बच्चे मौत के साए में भविष्य गढ़ने पर मजबूर हैं. बावजूद सरकार और उसके नुमाइंदे गहरी नींद में हैं. लगता है वो नींद तब टूटेगी, जब कोई बड़ा हादसा होगा और हादसे में किसी की जान जाएगी और मौत की चीख उनके कानों तक पहुंचेगी. जिसका एक छोटा सा नमूना देखने को मिला है. स्कूल की छत से मलबा गिरने से एक छात्र गंभीर रूप से घायल हुआ है. जिसकी हालत नाजुक बनी हुई है. अगर उसे कुछ हुआ तो क्या उसकी जिम्मेदारी सरकार लेगी या फिर नंबर मात्र बताकर उसके जिंदगी की कौड़ियों के दाम में कीमत लगा देगी?
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बता दें कि चरगांवा विकास खंड के अंतर्गत चिलुआताल थाना क्षेत्र के बालापार ग्राम पंचायत स्थित कंपोजिट विद्यालय में शनिवार को बड़ा हादसा हुआ है. जर्जर छत से प्लास्टर गिरने के चलते एक छात्र गंभीर रूप से घायल हुआ है. घटना के बाद घायल छात्र को आनन-फानन में बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है. हादसे की सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया.
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बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेन्द्र कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. अधिकारियों का कहना है कि प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की जर्जर छत की स्थिति की सूचना विभाग को नहीं दी, जो घोर लापरवाही है. वहीं इस घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और सिस्टम पर सवाल खड़ा किया है.
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घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी रोष है. उनका कहना है कि बच्चे जर्जर भवनों में जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं, जबकि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विकास के दावे कर रही है. ग्रामीणों ने मांग की है कि जिले के सभी जर्जर विद्यालय भवनों की तत्काल जांच कर मरम्मत कराई जाए और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए. यह हादसा न सिर्फ विभागीय लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा कब तक किस्मत के भरोसे छोड़ दी जाएगी?
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