मथुरा। गोवर्धन में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुवार को गोवर्धन में आस्था, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। मुड़िया पूर्णिमा के शुभ दिन गिरिराज तलहटी हरिनाम संकीर्तन, ढोलक-झांझ और मंजीरों की मधुर ध्वनि से गुंजायमान हो उठी। चकलेश्वर स्थित राधा-श्याम सुंदर मंदिर से महंत रामकृष्ण दास महाराज के नेतृत्व में मुड़िया शोभायात्रा निकाली गई, जो नगर के प्रमुख मार्गों चकलेश्वर दसविसा, हरिदेवजी मंदिर, दानघाटी मंदिर, बड़ा बाजार होते हुए पुनः राधा-श्याम सुंदर मंदिर पर समाप्त हुई।
मुड़िया शोभायात्रा निकाली गई
इस शोभायात्रा के पीछे एक सदियों पुरानी परंपरा है। मान्यता है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व बंगाल के नवद्वीप से आए सनातन गोस्वामी जी का चकलेश्वर में भजन करते हुए गोलोकवास हुआ था। उनके निधन के समय शिष्यों ने उनके पार्थिव शरीर के निकट बैठकर सिर मुंडवाया था। उसी परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है। इस वर्ष सनातन गोस्वामी के 467वें तिरोभाव महोत्सव पर उनके अनुयायी संतों और भक्तों ने मुंडन कराकर मुड़िया शोभायात्रा में भाग लिया और मानसीगंगा की परिक्रमा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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शोभायात्रा में सिर मुंडवाए मुड़िया संत हरिनाम संकीर्तन करते हुए भक्तिभाव से झूमते नजर आए। उनके मार्ग में श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। शोभायात्रा के दौरान हर कोई गुरु चरणों में नतमस्तक नजर आया। गुरु पूर्णिमा पर सुबह से ही श्रद्धालु अपने-अपने गुरु स्थानों पर पहुंचकर गुरुपूजन और दीक्षा की परंपरा निभाते दिखे। इस अवसर पर गोवर्धन धाम में भक्ति, अनुशासन और सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए थे। पुलिस और प्रशासन ने शोभायात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए कड़ी निगरानी रखी।
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