हाथरस. यूपी का सिस्टम सड़ चुका है. सिस्टम में बैठे जिम्मेदारों ने लापरवाही की सारी सीमाएं पार कर दी है. अंधे सिस्टम के लापरवाह अधिकारियों ने एक जिंदा इंसान को कागजों में मुर्दा करार दे दिया. जिसकी वजह से वृद्ध अब अपनी पेंशन पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है. वृद्ध दफ्तर के चक्कर काटकर 8 महीने से अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा है. वहीं जिम्मेदार अपनी लापरवाही को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या अधिकारी नशे में काम कर रहे हैं, जो जीते जी इंसान को मुर्दा करार दे रहे हैं?
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बता दें कि पूरा मामला मुरसान क्षेत्र के गांव रोहई का है. जहां रहने वाले सुबराती खान को अधिकारियों ने सत्यापन जांच में मृत घोषित कर दिया है. जिसकी वजह से वृद्ध को पेंशन नहीं मिल पा रही है. पेंशन न मिलने से वृद्ध की जीविका पर असर पड़ रहा है, बल्कि उन्हें दफ्तरों के चक्कर भी लगाने पड़ रहे हैं.
जिम्मेदार पर होनी चाहिए कार्रवाई
वहीं मामले को लेकर वृद्ध का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की है. अधिकारी लीपापोती कर जल्द ही समाधान करने का आश्वसन दे रहे हैं. वृद्ध का कहना ये भी है कि जो भी इस लापरवाही का जिम्मेदार है, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए. वहीं आलाधिकारी मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
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बार-बार गलती करने से बाज नहीं आ रहे जिम्मेदार
सवाल सिर्फ वृद्ध के पेंशन का नहीं है. सवाल सिस्टम में बैठे लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों का है. आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई? किसी जिंदा इंसान को ऐसे कैसे मृत घोषित कर दिया गया. ये पहला मामला नहीं है, जब इस तरह का मामला सामने आया हो. इससे पहले भी इस तरीके के मामले सामने आ चुके हैं. इसके बाद भी यूपका सिस्टम अपनी गलतियों को सुधारने में नहीं, वही गलती दोबारा दोहराने में मस्त है.
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