बाराबंकी. चोर चोरी से चूक जाए, पर हेरा-फेरी से नहीं यह कोतवाली नगर की पुलिस चौकी गदिया क्षेत्र में हाईवे पर मिट्टी डालने के नाम पर हो रहे अवैध खनन पर सटीक बैठती है. भले ही मिट्टी खनन के लिए रायल्टी ली गई हो, लेकिन खनन में सभी मानकों को नजरअंदाज कर मिट्टी दूसरी जगह बेची जा रही है.

बताते चलें कि गदिया पुलिस चौकी क्षेत्र की ग्राम पंचायत बस्ती स्थित खमरिया जूनियर स्कूल के निकट हाईवे पर मिट्टी डालने का परमिशन करा कर खनन कराया जा रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि इस खनन कार्य में लगे ठेकेदार शासन-प्रशासन की आंख में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. ऐसा भी नहीं कि इनके कृत्य को कोई अधिकारी देख ना पा रहा हो. क्योंकि इनके द्वारा अवैध रूप से बेची गई सैकड़ों डम्पर मिट्टी देवा-चिनहट रोड के किनारे आज भी पड़ी दिखाई दे रही है. उदाहरण के तौर पर खजूर गांव पेट्रोल पंप के सामने बाई तरफ एवं उसी पेट्रोल पंप के पीछे खजूर गांव के निकट दर्जनों डंपर मिट्टी इन्हीं ठेकेदारों द्वारा डम्प की गई है.

यह तो एक बानगी मात्र है. यदि इस रोड के किनारे रानीगंज में नजर दौड़ाई जाए तो कहीं ना कहीं इनके द्वारा अवैद्य रूप से डम्प की गई मिट्टी अवश्य नजर आएगी. इसके अलावा देवा-चिनहट रोड पर लखनऊ बॉर्डर तक कई फार्म हाउसों पर इनका अवैद्य कार्य नजर आएगा. अब इसे पुलिस व राजस्व एवं खनन विभाग की शिथिलता कहीं जाए या मिलीभगत यह तो खुद उनके ऊपर आधारित है. फिलहाल यहां पर यह कहना अनुचित नहीं है कि शासन प्रशासन के बिना जानकारी के मिट्टी खनन में लगे ठेकेदारों द्वारा अवैद्य रूप से मिट्टी बेची जा सकती है. कभी कोतवाली देवा की माती पुलिस चौकी वा कोतवाली नगर की गदिया पुलिस चौकी क्षेत्र अवैध मिट्टी खनन के लिए प्रसिद्ध रहे हैं और आज भी अपनी लकीर को पीटने में सफल नजर आ रहे हैं.

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इसी क्रम में यदि कोतवाली देवा का हल्का नंबर 1 पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां भी ट्रैक्टर ट्रालियों से प्रतिदिन रात के अंधेरे में अवैध खनन कराया जा रहा है. जिसमें शायद पुलिस की सहभागिता अनिवार्य हो सकती है. खमरिया के पास हो रहे खनन के बारे में जब गदिया पुलिस चौकी इंचार्ज विजय बहादुर सिंह से बात की गई तो उन्होंने यह तो जरूर बताया कि इनका 2 महीने का मिट्टी खनन हेतु परमिशन है और यह मिट्टी हाईवे पर डाली जानी है. परंतु जब उनसे देवा रोड के किनारे पड़ी हुई मिट्टी के बारे में जानकारी ली गई तो उनके द्वारा सीधे यह कहा गया कि आप लोग पुलिस से पूछते हैं. यह जिम्मेदारी खनन विभाग की होती है. वहीं हल्का लेखपाल हरिओम शुक्ला ने तो कुछ भी बताने से ही इंकार कर दिया.

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