लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक सरकारी डॉक्टर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार हर प्रणाली में एक दीमक की तरह है और एक बार व्यवस्था में प्रवेश करने के बाद यह बढ़ता ही चला गया है. एक सरकारी डॉक्टर की अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कहा, “भ्रष्टाचार हर व्यवस्था में एक दीमक है. एक बार व्यवस्था में प्रवेश करने के बाद, यह बढ़ता ही जाता है. आज यह बड़े पैमाने पर है और एक दिनचर्या बन गई है.”

उन्होंने आगे कहा, “भ्रष्टाचार सभी समस्याओं का मूल कारण है, जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, प्रदूषण, बाहरी खतरे, अविकसितता, असमानता और सामाजिक अशांति.” अदालत ने कहा, “खतरे को ध्यान में रखना होगा. अपराध समाज के खिलाफ है. अदालत को जांच एजेंसी के साथ-साथ समाज की वैध चिंताओं के साथ अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों को संतुलित करना होगा.”

राजीव गुप्ता ने अपनी पत्नी डॉ. सुनीता गुप्ता, पूर्व वरिष्ठ मंडल चिकित्सा अधिकारी (डीएमओ), उत्तर रेलवे, चारबाग, लखनऊ की ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. वह रेडियोलॉजी विभाग में कार्यरत थी. राजीव गुप्ता किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऑन्कोलॉजिस्ट हैं. सीबीआई ने लखनऊ में डॉ. सुनीता गुप्ता और उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता, प्रोफेसर, केजीएमयू, लखनऊ के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

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प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि डॉ. सुनीता गुप्ता के पास एक जनवरी 2009 से 12 जुलाई 2016 की अवधि के दौरान संपत्ति (करीब 1.80 करोड़ रुपए, उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक) थी. सीबीआई ने 12 जुलाई 2016 को डॉ. सुनीता गुप्ता के लखनऊ स्थित आवास से 1.59 करोड़ रुपए भी बरामद किए थे. अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि डॉ सुनीता गुप्ता आय के स्रोत को संतोषजनक ढंग से नहीं बता सकीं और उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता ने भी इस बेहिसाब संपत्ति को इकट्ठा करने में उनकी मदद की.

सीबीआई की ओर से पेश हुए वकील अनुराग कुमार सिंह ने अग्रिम जमानत का विरोध किया. अदालत ने चिकित्सा पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद दीक्षांत समारोह में डॉक्टरों द्वारा ली गई शपथ पर भी टिप्पणी की. “चिकित्सक दीक्षांत समारोह के समय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रदान की गई शपथ दिलाते हैं जो दुनिया भर में ली गई हिप्पोक्रेटिक शपथ का विस्तार है. शपथ केवल एक औपचारिकता नहीं है. इसे पालन किया जाना चाहिए.