प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महिला की अंतरंग तस्वीरें उसके परिवार को भेजने वाले व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने इसे आवेदक द्वारा पीड़ित के साथ विश्वासघात का एक विशेष मामला करार दिया और कहा कि व्यक्ति असंवेदनशील है.

पीड़ित और आवेदक बलराम जायसवाल दोनों फेसबुक के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आए. जब रिश्ता बना, तो दोनों कई जगहों पर गए जहां उसने अंतरंग स्थिति में कुछ वीडियो और तस्वीरें लीं और उसके बाद व्यक्ति ने महिला का शोषण करना शुरू कर दिया. पीड़िता ने आवेदक के खिलाफ वाराणसी जिले के लंका पुलिस स्टेशन में धारा 376 (रेप) और आईपीसी की अन्य धाराओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है.

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आवेदक इस मामले में 9 अगस्त 2021 से जेल में बंद है. आवेदक के वकील ने यह दलील दी कि पीड़िता बड़ी लड़की है और विवाह पूर्व सेक्स के परिणामों को समझती है. उनके बीच जो कुछ भी हुआ वह उनकी सहमति से हुआ. याचिकाकर्ता के वकील ने आगे तर्क दिया कि मेडिकल रिपोर्ट इंगित करती है कि जबरन यौन संबंध का कोई संकेत नहीं है.

बलराम जायसवाल की जमानत याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुवेर्दी ने कहा कि आवेदक को इस अपराध की कीमत चुकाए बिना स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यह आवेदक द्वारा पीड़िता के साथ विश्वासघात का मामला है. स्पष्ट रूप से इसमें कहा गया है कि आवेदक ने उन अंतरंग तस्वीरों को उसके परिवार को भेज दिया है.