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लखनऊ. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में प्रेस कांफ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने तिरुपति में चर्बी मिला हुआ प्रसाद खाया है वह पंचकर्म सेवन कर पाप समाप्त कर सकता है और वह फिर से पवित्र हो जाएगा.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि दूसरे देशों से आपका देश क्यों अलग है उसका पता करना है तो एक ही तरीका है कि जब आप इस देश में आएंगे तो आपको भारत की संस्कृति दिखाई देगी और कहीं बाहर जाएंगे तो संस्कृति आपको नहीं दिखाई देंगे. जिस देश में हमको संस्कृति दिखाई देती है वह देश भारत है. इसलिए भारत की पहचान होती है. भारत की जो पहचान है यहां की जो संस्कृति है. उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां की गायों का सदा सम्मान हुआ है. गायों की सबसे बड़ी विशेषता है. यहां के रहने वाले जो मूल निवासी है, सनातनी है. भारतीय संस्कृति को मानने वाले उनके घर में जब भी रोटी बनती है तो वह अपने भगवान गुरु और बड़े बुजुर्गों को रोटी देने से पहले रोटी गाय के लिए निकलती है.
शंकराचार्य ने कहा कि आजादी के समय हमारे नेताओं ने यही बात कहा था कि आजादी के पहले दिन से ही गांधी ने स्थापित होगा तो कलम की पहली नौकरी दो हत्या की बंदी का कानून बनेगा. यह आश्वासन हम लोगों को दिया गया था. स्वतंत्रता के संग्राम के बाद सत्ता स्थापित हो जाती है और सत्ता स्थापित हो जाने के बाद गौ माता की बात भूल जाते हैं.
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उन्हाेंने कहा कि हम जब यात्रा शुरू की तो हमें यह यकीन थी कि मुसलमान-ईसाइयों की तरफ से विरोध होगा पर हमारी यात्रा का सबसे पहले विरोध बीजेपी की तरफ से किया गया. भाजपा नागालैंड की तरफ से लिखा गया कि गाय खाना हमारी सभ्यता और संस्कृति में शामिल है. इसलिए शंकराचार्य नागालैंड में प्रवेश न करें. भाजपा के इस पत्र के बाद नागालैंड के कई संस्थाओं द्वारा इस प्रकार के पत्र जारी किया जाने लगा.
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