लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भारत में पशु नस्लों का विकास कार्यशाला’ का शुभारम्भ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा निराश्रित गो-आश्रय स्थल की कार्ययोजना को वर्ष 2018 में लागू किया गया। वर्तमान में 14 लाख से अधिक गोवंश की देखभाल सरकार की गौशालाओं के माध्यम से या सरकार द्वारा सहायता प्राप्त पशुपालकों द्वारा की जा रही है। प्रदेश में निराश्रित गोवंश से सम्बन्धित 3 योजनाएं संचालित हो रही हैं।
गोवंश संरक्षण और संवर्धन का कार्य
इन योजनाओं के माध्यम से गोवंश संरक्षण और संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। प्रथम योजना के अन्तर्गत प्रदेश सरकार निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के माध्यम से 12 लाख से अधिक निराश्रित गोवंश की देखभाल करती है। दूसरी स्कीम सहभागिता योजना के माध्यम से संचालित की जा रही है। इसके अन्तर्गत किसी पशुपालक को सरकार द्वारा 04 गोवंश प्रदान किये जाते हैं। इन गोवंश की देखभाल के लिए प्रत्येक माह 1500 रुपये प्रति गोवंश प्रदान किये जाते हैं। इस योजना के तहत 01 लाख 25 हजार पशुपालकों द्वारा 02 लाख से अधिक पशुधन की देखभाल की जा रही है।
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एक-एक दुधारू गाय उपलब्ध कराई
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी योजना के अन्तर्गत कुपोषित परिवारों को निराश्रित गो-आश्रय स्थलों से एक-एक दुधारू गाय उपलब्ध करायी गयी है। इन परिवारों को गोवंश की देखभाल के लिए प्रति गोवंश 1500 रुपये की धनराशि भी उपलब्ध करायी जाती है। अब तक 10 हजार से अधिक कुपोषित परिवार इस योजना का लाभ प्राप्त कर चुके हैं। प्रदेश में गो-सेवा आयोग निराश्रित गो-आश्रय स्थलों की व्यवस्था ठीक रखने तथा गोवंश की नस्ल सुधारने के अभियान को आगे बढ़ा रहा है। गो-सेवा आयोग को पशुपालकों व अन्नदाता किसानों को प्रशिक्षित करने की भी जिम्मेदारी सांपी गई है।
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कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड के अत्यधिक प्रयोग से कैंसर, किडनी खराब होने जैसी बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड के अत्यधिक प्रयोग के दुष्परिणाम हम सबके समक्ष दिख रहे हैं। यह केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड बरसात में बहकर नदियों को भी प्रदूषित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक जीवन जीने के लिए प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक खेती गो-आधारित खेती होती है, गोवंश उसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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उत्तर प्रदेश के 27 जनपद माँ गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में स्थित हैं। इन 27 जनपदों में प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए गये हैं। भारत सरकार ने भी इस कार्यक्रम को अपनी मंजूरी प्रदान की है। बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में भी प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह विशुद्ध रूप से गो-आधारित खेती है।
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