सिद्धार्थनगर. गौतम बुद्ध ने कपिलवस्तु में अपने जीवन के प्रथम 29 साल राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में गुजारे थे. यहीं से वह देश व दुनिया को शांति, अहिंसा, प्रेम, करुणा का संदेश देने को निकले थे. अब उनकी क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु में बौद्ध परिपथ का पहला और सबसे बड़ा विपश्यना पार्क बनेगा. पार्क के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है.

जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर स्थित कपिलवस्तु में एक स्तूप है, जहां पर गौतम बुद्ध की अस्थि का अष्टम भाग दफन किया गया था. हालांकि खुदाई के बाद अस्थि कलश को निकालकर दिल्ली के संग्रहालय में रख दिया गया है. यहां पर हर साल हजारों की संख्या में देशी, विदेशी बौद्ध धर्मावलंबी आते हैं और देश व दुनिया में अमन के लिए शांति के दूत से प्रार्थना करते हैं. अब यहां विकास की नई संभावना जगी है. पर्यटन विभाग की पहल पर प्रशासन की ओर से शासन को कपिलवस्तु में विपश्यना पार्क बनाने व बौद्ध देशों के मठ बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. इसके लिए शासन से 35 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने को कहा गया है. शासन से मंजूरी मिलते ही जमीन का अधिग्रहण हो जाएगा और पार्क का निर्माण भी शुरू हो जाएगा.

कपिलवस्तु में विपश्यना पार्क निर्माण व जमीन अधिग्रहण पर 42 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है. शासन से मंजूरी मिलने के बाद पार्क व मठों के बनने से पर्यटकों की आमद तो बढ़ेगी ही विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी. बौद्ध देशों को अपने देश का मठ बनाने के लिए अधिग्रहीत जमीन में से भूमि दी जाएगी. यह जमीन शासन की अनुमति के बाद सरकारी दर पर उपलब्ध कराई जाएगी.