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कानपुर. भारत के पूर्व राष्ट्रपति और समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद ने एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “केंद्र सरकार को सर्वानुमति विकसित करनी होगी. ये मुद्दा किसी राजनीतिक दल के हित का नहीं बल्कि देश के हित का है.
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आगे पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, मैं इसे चुनौती नहीं मानता हूं बल्कि ये मेरे लिए ‘गेम चेंजर’ है. इस देश के अर्थ शास्त्रियों की भी यही राय है कि जब ये बिल आ जाएगा तो कम से कम 1 से 1.5 प्रतिशत इस देश की GDP बढ़ जाएगी.
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एक राष्ट्र एक चुनाव के पक्ष में बीजेपी
एक देश एक चुनाव के पक्ष में केंद्र की एनडीए सरकार (बीजेपी) शुरू से ही है. सरकार ने हमेशा तर्क दिया है कि चुनाव कराने की वर्तमान प्रणाली समय, धन और प्रयास की बर्बादी है. फिर चुनाव से पहले घोषित आदर्श आचार संहिता का सवाल है, जो विकास कार्यों पर ब्रेक लगाती है. हालांकि, विपक्षी दल इसका शुरू से पुरजोर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है.
दो तिहाई बहुमत की पड़ेगी जरूरत
दोनों सदनों में एनडीए के पास साधारण बहुमत है. इस कारण लोकसभा या राज्यसभा किसी में भी सरकार के लिए दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करना एक कठिन काम हो सकता है. राज्य सभा में एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं, जबकि दो तिहाई बहुमत के लिए 164 वोटों की आवश्यकता होती है.
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