गोविंद पटेल, कुशीनगर. जनता की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कुशीनगर सांसद विजय कुमार दुबे के गोरखपुर आवास पर बड़ी घटना घटित हुई. छोटी गंडक नदी के सोहसा घाट को मोक्षधाम और दुबौली में छठ घाट निर्माण की मांग लेकर पहुंचे ग्राम प्रधान सहित कई ग्रामीणों को सांसद के प्रतिनिधि ने गेट से बाहर निकाल दिया. अब ये मामला लोगों से लेकर सियासी गलियारों तक गर्माया हुआ है.

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ग्रामीणों के मुताबिक, सोमवार सुबह 7:45 बजे वे लोग सांसद आवास पहुंच थे. इस दौरान सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह ने तीखे अंदाज में कहा “सांसद जी सुबह 9 बजे सोकर उठते हैं, ऐसे मुंह उठाए चले आए हो? सांसद जी से बिना समय लिए मुलाकात नहीं होती. इतना ही नहीं, ग्रामीणों को बरामदे से उठाकर गेट के बाहर धूप में खड़ा कर दिया गया. लगभग डेढ़ घंटे की फजीहत झेलने के बाद समर्थक मायूस होकर लौट गए.

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दरअसल, पिछले साल देव दीपावली पर सांसद दुबे ने मंच से सार्वजनिक रूप से मोक्षधाम और छठ घाट निर्माण की घोषणा की थी. अब पर्व समीप है और जनता काम की उम्मीद में अपने सांसद से मिलने गई थी, लेकिन जो व्यवहार हुआ, उसने जनमानस को मासूम कर दिया. लोगों का कहना है कि “हमने सांसद जी को चुना है, उन्हीं के दरवाज़े से अपमानित होना पड़ा. वोट मांगने के लिए नेता आधी रात को भी घर पहुंच जाते हैं, लेकिन जनता सुबह समस्या लेकर जाए तो गुनहगार बना दी जाती है. देश आजाद है, लेकिन जनता आज भी गुलाम जैसी है. अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या जनता को अपने सांसद से मिलने के लिए ‘अपॉइंटमेंट’ लेना पड़ेगा? क्या जनप्रतिनिधि अपने ही मतदाताओं को यूं अपमानित कर सकते हैं? लोकतंत्र में जनता की ताकत सबसे बड़ी होती है और जनता का अपमान हर हाल में भारी पड़ता है.