गोविन्द पटेल, कुशीनगर. सरकार के एक आदेश ने हाटा विकास खंड के तुर्कवलिया दरियाव सिंह गांव के बच्चों की शिक्षा पर विराम लगा दिया है. यहां स्थित प्राथमिक विद्यालय को जर्जर भवन घोषित कर अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. परिणामस्वरूप नन्हें छात्रों को या तो दूरस्थ विद्यालय जाना पड़ रहा है या फिर महंगे निजी स्कूलों की ओर रुख करना पड़ रहा है.
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दरअसल, बच्चों की चहचहाहट से गूंजता यह विद्यालय आज वीरान पड़ा है. स्कूल के दरवाज़े पर ताला जड़ा है और पठन-पाठन पूरी तरह ठप है. ग्रामीणों में इसको लेकर भारी असंतोष व्याप्त है. यह विद्यालय वर्ष 1992-93 में ग्रामवासियों की पहल पर फूस की झोपड़ी में शुरू हुआ था. 1999 में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पक्का भवन बनवाया गया और तब से अब तक पढ़ाई सुचारु रूप से चलती रही. बीच-बीच में मरम्मत और रंगाई-पुताई के लिए सरकारों ने बजट भी स्वीकृत किया, लेकिन वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भवन को अचानक जर्जर घोषित कर बंद कर दिया गया.
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विद्यालय बंद होने से अब बच्चों को लगभग 800 मीटर दूर स्थित जूनियर हाईस्कूल भेजा जा रहा है. यह दूरी छोटे बच्चों के लिए चुनौती बन चुकी है. कई अभिभावक इस असुविधा के कारण अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में दाखिला दिलाने को मजबूर हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ा है. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारें एक ओर सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर उल्टी तस्वीर सामने आती है. तुर्कवलिया दरियाव सिंह का यह प्राथमिक विद्यालय सरकारी शिक्षा प्रणाली की विफलता का प्रतीक बन चुका है.
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