विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के राजकीय और स्वशासीय राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में चल रहे नर्सिंग कॉलेज शिक्षकों की कमी के चलते गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं दे पा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार 180 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए महज 8 से 10 शिक्षक ही तैनात किए गए हैं. वो भी पूर्णकालिक न होकर संविदा पर नियुक्त है.

प्रदेश में वर्ष 2022-23 में आगरा मेरठ, प्रयागराज, गोरखपुर, कन्नौज, जालौन, बदायूं, आजमगढ़, बाँदा अंबेडकर नगर और सहारनपुर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज और अयोध्या, बस्ती, बहराइच, फिरोजाबाद और शाहजहांपुर स्थित स्वशासी राज्य चिकित्सा मकहाविद्यालयो और पैरामेडिकल ट्रेनिग कॉलेज झांसी में बीएससी नर्सिंग कोर्स शुरू किया गया था. कॉलेज ऑफ नर्सिंग कानपुर में सीट्स बढ़ाई गई थी. पहले बैच में 60-60 छात्रों का दाखिला हुआ था. जिनको शिक्षित करने के लिए संविदा पर महज 8 से 10 शिक्षकों की नियुक्ति की गई. 2023-24 में दूसरा और 2024-25 में तीसरा बैच आ चुका है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है.

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क्या है छात्रों और अध्यापकों का औसत मानक?

उत्तर प्रदेश शासन के अनुसार 40 से 60 छात्रों के दाखिला पर प्राचार्य, उपप्राचार्य और प्रोफेसर के एक एक पद, एसोसिएट प्रोफेसर पर दो पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के 3 और ट्यूटर के 8 से 16 पदों की भर्तियां करना अनिवार्य है. यानी कि कुल 16 से 24 अध्यापक होने के अलावा अन्य स्टाफ होना चाहिए. इसके साथ छात्रों की संख्या बढ़ने पर अध्यापन कार्य में जुटे प्राचार्य, उपप्राचार्य के पद को छोड़कर अन्य अध्यापकों की संख्या में समानुपात इजाफा होना ही चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है.