लखनऊ. राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के कुलपति को लोकायुक्त ने नोटिस भेजा है. सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत सिंह ने उनके खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक अनियमित्ता को लेकर शिकायत की है. नोटिस में 15 सितंबर तक जवाब देने को कहा गया है.

केशव नगर निवासी समाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत सिंह ने केजीएमयू कुलपति पर चार गंभीर मामलों में आरोप लगाए गए हैं. कोविड-19 की जांच किट महंगी दर पर खरीदने, नियम विरुद्ध प्रमोशन करने, कम योग्य व्यक्ति की नियुक्ति जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. ऐसे में लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार ने 6 अगस्त को कुलपति डॉ. विपिन पुरी को नोटिस जारी की. नए कुलपति से सवाल-जवाब की नोटिस पहुंचते ही कैम्पस में हड़कंप मच गया. डॉ. पुरी ऐसे पहले कुलपति हैं, जिनका कार्यकाल का एक साल बीतते ही लोकायुक्त जांच के घेरे में आ गया. वहीं तत्कालीन कुलपति कार्यकाल के अंतिम समय में लोकायुक्त जांच के दायरे में आए थे.

केजीएमयू में कोरोना जांच किट खरीद में गंभीर आरोप लगे हैं. इसमें वीटीएम किट बाजार से महंगी दर पर खरीदने गई हैं. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक की गई. खुलासा होते ही अफसरों ने आनन-फानन में 8 जून को टेंडर निरस्त कर दिया. वहीं इससे पहले खरीदी गई भारी तादाद में किट और राजस्व को हुए नुकसान पर सवाल उठाया गया. आरोप है कि केजीएमयू में 35.40 रुपए की दर से वीटीएम किट खरीदी गई थी. वहीं सरकार की ही दूसरी एजेंसी यूपी मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन ने यही किट 8.97 रुपए में खरीदी थी. वहीं केजीएमयू में ऐसे ही आरटी पीसीआर जांच की किट 50.40 रुपए की दर से खरीदी गई जबकि गुजरात में यही किट 23 रुपए और झारखंड में 28 रुपए में खरीदी गई थी.

केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर की भर्ती को लेकर भी विवाद है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्लास्टिक सर्जरी की सर्वोच्च डिग्री एमसीएच धारी अभ्यर्थियों का शिक्षक पद पर चयन नहीं हुआ. यह सरकारी कॉलेज से पढ़े थे. वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व देश के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे को शिक्षक की नौकरी दे दी गई. 10 जनवरी 2020 को निकले विज्ञापन में सामान्य वर्ग के 2 पदों पर भर्ती के लिए 7 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इसमें से 6 अभ्यर्थियों के पास एमसीएच की डिग्री थी. वहीं इन सभी को दरकिनार कर कर दिया गया और नेपाल से पासआउट अभ्यर्थी को नौकरी दे दी गई. आरोप है कि 8 जनवरी की कार्यपरिषद की बैठक में अभ्यर्थी की अफसर मां भी मौजूद थीं.

केजीएमयू में शोध सहायक व शोध अधिकारी के पदों पर सीधी भर्ती का प्रावधान है. इन दोनों पदों पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यताएं भिन्न हैं. आरोप है कि केजीएमयू परिनियमावली के तहत शोध सहायक से शोध अधिकारी के पद पर प्रोन्नत करने का कोई प्रावधान नहीं है. पर यहां नियमों की अनदेखी की गई. यहां दो सदस्यों को दोबारा संकाय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.