गोविन्द पटेल, कुशीनगर. एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग का जर्जर भवन सरकार की इन घोषणाओं की सच्चाई बयां कर रहा है. किसानों की प्रगति और आधुनिक खेती के लिए बने इस भवन की हालत अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है.

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बताया जाता है कि वर्ष 1992 में तत्कालीन कृषि एवं उद्यान मंत्री गंगाभक्त सिंह ने प्रशिक्षण एवं संपर्क योजना अंतर्गत उपसम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, हाटा (स्थान – सुकरौली), जनपद देवरिया के कार्यालय भवन का शुभारंभ किया था. उस समय यह भवन किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ था. यहां मृदा परीक्षण से लेकर खेती के आधुनिक तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया जाता था. देवरिया से अलग होकर जब कुशीनगर नया जनपद बना, तब भी वर्षों तक यह भवन किसानों की सेवा करता रहा, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. भवन की दीवारें जर्जर हैं, छत टपकती है और कभी किसानों की मिट्टी जांचने वाली लैब अब पूरी तरह बंद हो चुकी है.

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वर्तमान में यहां केवल 3 कर्मचारी कार्यरत हैं. एक बाबू और दो अन्य कर्मचारी, जबकि 15 कर्मचारी फील्ड में कार्यरत हैं. बावजूद इसके, जो कर्मचारी भवन में हैं, वे गिरते-टूटते ढांचे के नीचे काम करने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि जब प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही स्वयं देवरिया जिले के निवासी हैं, तब भी यह स्थिति शर्मनाक है. किसानों का आरोप है कि सरकार केवल मंचों और भाषणों में ही किसानों की चिंता जताती है, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. अब सवाल उठता है कि क्या सरकार इस भवन की मरम्मत और जीर्णोद्धार की दिशा में कदम उठाएगी या फिर यह भवन भी किसानों की तरह अपनी बेबसी पर आंसू बहाता रहेगा.