विक्रम मिश्र, लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आईपीएस आशीष गुप्ता के मामले में एक्स पर अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ये समाचार चिंताजनक है कि उप्र पुलिस के वरिष्ठतम लोग, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गए, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ‘ऐच्छिक सेवानिवृत्ति’ लेने पर मजबूर हैं. इससे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है, जिसका खामियाजा प्रदेश की कानून-व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है.
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आगे अखिलेश यादव ने कहा, भाजपा सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो ‘वरिष्ठता क्रम की सूची’ बनाने का क्या मतलब. वरिष्ठता में 1-2 के फेरबदल को तो कार्य के स्वरूप के आधार या किसी अन्य पैमाने पर उचित ठहराया भी जा सकता है, लेकिन 10-12 के अंतर को नहीं. सामान्य रूप से किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पंसद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि उस पद विशेष के लिए अधिकारी की पदानुक्रमता के साथ-साथ योग्यता और अनुभव का समेकित संतुलित आधार होना चाहिए.
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अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि भाजपा सरकार अधिकारियों का मनोबल गिरा कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती है. हाल की कुछ घटनाओं में ये देखा गया है कि कुछ अधिकारियों को चिन्हित करके, उनके विभाग के अदंर और सोशल मीडिया के स्तर पर बाहर से, उनको या उनके परिवारों को प्रताड़ित-अपमानित किया गया है. भाजपाइयों द्वारा चलाया गया ये चलन बंद होना चाहिए. भाजपाई ईमानदारी को पुरस्कृत नहीं करती है तो न करे, लेकिन तिरस्कृत भी न करे. चिंतनीय भी, निंदनीय भी!
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