लखनऊ. लोकसभा में सपा सुप्रीमो ने चुनाव आयोग की नियुक्ति और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. अखिलेश यादव ने कहा है कि चुनाव सुधार तभी संभव है, जब चुनाव निष्पक्ष होंगे. चुनाव सुधार के लिए चुनाव आयोग की नियुक्ति का तरीका बदला जाए. चुनाव आयोग की नियुक्ति निष्पक्ष और पारदर्शी हो. आयोग की नियुक्ति की जो व्यवस्था पहले थी भाजपा सरकार ने उसे बदल दिया. विपक्ष को लगना चाहिए कि नियुक्ति में उसकी भी भूमिका है. इसके साथ ही चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए. ईवीएम से चुनाव पर बहुत सवाल उठ रहे हैं.

आगे अखिलेश यादव ने कहा, भारत ही नहीं पूरी दुनिया के अन्दर इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर सवाल उठ रहे हैं. जो टेक्नालॉजी की बात कर रहे है वे भारत और जर्मनी, भारत और अमेरिका, भारत और जापान की तुलना कर लें, पता चल जाएगा कि हम कहां खड़े हैं. कई सम्पन्न देश जो तकनीक में भारत से कई गुना आगे हैं, अगर वे ईवीएम को नहीं स्वीकार कर रहें हैं तो यहां ईवीएम से वोटिंग क्यों हो रही है? जर्मनी जैसे देश में ईवीएम से वोटिंग असंवैधानिक माना जाता है. वहां बैलेट से वोट पड़ता है. हमारी मांग है कि बैलेट से मतदान हो.

इसे भी पढ़ें- ये प्यार नहीं, हवस है! इश्क के जाल में फंसाकर युवक ने कई बार किया रेप, फिर हुआ कुछ ऐसा कि लड़की ने कर दिया केस

आगे अखिलेश यादव ने कहा कि बात रिफार्म की हो रही है. आखिर ये बात क्यों आई? जब कोई चीज अपने मूल स्वरूप में होती है तो उसे फार्म कहा जाता है. जब वह मूल फार्म खो जाती है तो डि फार्म कहा जाता है. उसी चीज को मूल फार्म में लाने का प्रयास रिफार्म होता है. आज चुनाव सुधार की जरूरत क्यों पड़ी? हमारी चुनावी प्रक्रिया को खराब किसने किया? यहां चुनावी प्रक्रिया बाहर के लोगों ने नहीं अंदर के लोगों ने खराब की है. चुनाव के दौरान खातों में पैसा देकर प्रभावित किया जा रहा है. बिहार में 10 हजार रूपया दिया गया. एक तरफ भाजपा पैसा देती है, वहीं दूसरी तरफ अगर विपक्षी दल की सरकार कोई नीति लागू करती है तो भाजपा उस पर रोक लगवाती है.

आगे अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव में मीडिया की भूमिका तय होनी चाहिए. चुनाव के समय पर सभी राजनीतिक दलों का मीडिया में बराबर स्थान नहीं मिलेगा तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा. सरकारी हो या निजी मीडिया सभी दलों को बराबर स्पेस मिलना चाहिए. इधर देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया में दूसरों की छवि खराब करने के लिए पैसा खर्च किया जा रहा है. भाजपा के हजारों लोगों को लगाकर हजारों करोड़ रूपया नकारात्मक कैम्पेन के लिए खर्च करती है. भाजपा चुनाव में सोशल मीडिया पर निगेटिव प्रचार कराती है.

इसे भी पढ़ें- ‘पति तो नपुंसक है’..! सुहागरात पर दूल्हे की खुली पोल, दुल्हन ने मायके वालों को दी जानकारी, फिर जो हुआ…

आगे अखिलेश ने कहा, चुनाव आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन वह निष्पक्ष क्यों नहीं है? 2024 में फर्रूखाबाद लोकसभा चुनाव में मतगणना के दिन पुलिस और प्रशासन दिन भर विपक्ष के लोगों पर लाठी चलाता रहा रिजल्ट बदलने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए. लाइट काटी गयी. उत्तर प्रदेश में फर्रूखाबाद समेत कई जगह का रिजल्ट बदला गया. समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की धांधली की जानकारी दी, लेकिन आयोग ने कोई सुनवाई नहीं की. उत्तर प्रदेश में पिछले कई उपचुनाव में चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए. रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा और उसके मुख्यमंत्री ने तय किया था कि सीट हर हालत में जीतनी है. हमें आशंका थी कि चुनाव में हर तरीके से धांधली की जाएगी. वोटिंग के दिन पुलिस-प्रशासन ने वोटरों को घर से नहीं निकलने दिया. सरकार और भाजपा की कोशिश रही कि मतदाता घरों से न निकलने पाएं. चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने एक-एक घटना की जानकारी और पुलिस-प्रशासन की ज्यादती की शिकायत चुनाव आयोग से की. उसके बाद भी चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की.

आगे अखिलेश यादव ने कहा, हम समझ गये कि चुनाव आयोग पक्षपाती है. इसी तरह से मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भी धांधली की गयी. अधिकारियों और बीएलओ की तैनाती में भेदभाव किया गया. फर्जी वोट डलवाए गये. समाजवादी पार्टी ने शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उत्तर प्रदेश में जितने भी उपचुनाव हुए निष्पक्ष नहीं हुए. निष्पक्ष चुनाव हुआ तो भाजपा 2027 में कहीं नहीं जीतेगी. मऊ में अभी उपचुनाव नहीं घोषित हुआ है, लेकिन वहां धांधली शुरू हो गयी है. चुनाव घोषणा से पहले ही 15 हजार वोट काट दिए गये हैं. इससे पहले 2022 के चुनाव में चिह्नित कर समाजवादी पार्टी के वोट काटे गये थे. हमने इसकी शिकायत की थी. आयोग ने एफीडेविट मांगे। समाजवादी पार्टी ने काटे गए नामों के एफिडेविट दिए लेकिन किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई.

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें