विक्रम मिश्र, लखनऊ. शिया युवा संगठन हैदरी टास्क फोर्स (एचटीएफ) ने गुरुवार को दरगाह हज़रत अब्बास (अ.स.) में पाकिस्तान के खिलाफ एक जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का नेतृत्व एचटीएफ के संरक्षक और शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने किया. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को “आतंकवाद का गढ़” करार दिया और कहा कि वहां शिया मुसलमानों का दशकों से नरसंहार हो रहा है.
बता दें कि यह विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान के ख़ुर्रम क्षेत्र में 21 नवंबर को आतंकवादियों द्वारा 100 शिया मुसलमानों की बर्बर हत्या की घटना के विरोध में आयोजित किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रूस्तम नगर इलाके में एक कैंडल मार्च निकाला और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पुतला जलाकर विरोध प्रकट किया.
कैंडल मार्च से पहले शहीद हुए शिया मुसलमानों की याद में एक मजलिस का आयोजन किया गया, जिसे मौलाना यासूब अब्बास ने संबोधित किया. उन्होंने कहा, आतंकवादियों ने अपनी क्रूरता की हदें पार करते हुए महिलाओं और बच्चों समेत करीब 100 शिया मुसलमानों को निशाना बनाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का हवाला देते हुए कहा, घायल व्यक्तियों को एम्बुलेंस से बाहर निकालकर उनकी हत्या कर दी गई.
मौलाना ने अफसोस जताया कि मुस्लिम समुदाय, जो फिलिस्तीन के मुद्दे पर एकजुटता दिखाता है, शिया मुसलमानों के नरसंहार पर चुप्पी साध लेता है. उन्होंने कहा, “अन्याय कहीं भी हो, उसकी निंदा होनी चाहिए. पाकिस्तान में मारे गए शिया मुसलमान शाहिद हैं, और वहां की सरकार आतंकवाद पर लगाम लगाने में विफल रही है.”
मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि सऊदी अरब के पेट्रो डॉलर से पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने शिया समुदाय पर मस्जिदों और इमामबाड़ों में हो रहे हमलों की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे हमले दिखाते हैं कि ये आतंकवादी इस्लाम के नाम पर केवल पाखंड कर रहे हैं.
मजलिस के दौरान मौलाना ने इमाम हुसैन और उनके साथियों की कर्बला में दी गई कुर्बानी का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “यज़ीद की आतंकी फौज ने तीन दिन के भूखे-प्यासे इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों को शहीद किया.”
प्रदर्शन में मौजूद शिया धर्मगुरुओं जिसमें अध्यक्ष ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना साएम मेहंदी नक़वी, मौलाना अनवर हुसैन रिज़वी, मौलाना सैयद मो. मुस्लिम, मौलाना रज़ा अब्बास, मौलाना अफ़ज़ल रिज़वी नजफी ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से पाकिस्तान में शिया मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की. उन्होंने कहा कि शिया मुसलमान 1400 वर्षों से आतंकवाद का सामना कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप अब अनिवार्य हो गया है. इस विरोध सभा ने शिया समुदाय के आक्रोश और उनकी चिंताओं को उजागर किया, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग प्रमुख रही.
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