विक्रम मिश्र लखनऊ। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 31 मार्च को सहारनपुर के नंदनपुर गांव में एक कथित अपराधी गुरमीत को मार गिराया था। याद दिला दें कि 3 जून 2017 को योगी आदित्यनाथ ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि जो गुनाह करेगा ठोक दिया जाएगा। उस दौरान सीएम योगी का ये बयान काफी चर्चा में रहा था। जनवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान शामली में एक सार्वजनिक रैली में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा था कि राज्य में असुरक्षा, दंगा भड़काने और माफियाओं की गर्मी 10 मार्च के बाद शांत करवा देंगे। वहीं योगी आदित्यनाथ ने उमेश पाल की हत्या के बाद सदन में ये कहा था कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे।

कब और कैसे हुए एनकाउंटर

योगी को सरकार की सत्ता संभालने  के बाद यानी कि, 2017 के बाद से मेरठ में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए, जिसमें 63 अपराधी मारे गए और 1708 अपराधी घायल हुए। इसी दौरान पुलिस मुठभेड़ के दौरान एक पुलिसकर्मी भी शहीद हो गया, जबकि 401 पुलिसकर्मी घायल हो गये थे। यूपी पुलिस ने कार्रवाई के दौरान कुल 5,967 अपराधियों को पकड़ा था। आगरा पुलिस ने 2017 के बाद 1844 मुठभेड़ों को अंजाम दिया। इन मुठभेड़ों में 4654 अपराधी गिरफ्तार कर लिए गए। वहीं 14 दुर्दांत अपराधी मारे गए।  55 पुलिस वाले घायल हुए। बरेली में 2017 के बाद से 1497 मुठभेड़ें हुई। इन मुठभेड़ों में 3410 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। 7 अपराधियों की मौत हो गई। बरेली में मुठभेड़ के दौरान 437 अपराधी घायल हुए। इन अभियानों में 296  पुलिसकर्मी घायल हुए, 1 पुलिसकर्मी शहीद हो गया।

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साल दर साल अपराधियों पर कसता रहा शिकंजा

पिछले छह सालों में राज्य में पुलिस और अपराधियों के बीच 9,434 से ज्यादा मुठभेड़ें हुई हैं, जिसमें 183 अपराधी मारे गए हैं। 5,046 अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आधिकारिक आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि पिछले छह सालों में इस तरह के अभियानों के दौरान 13 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 1,443 पुलिसकर्मी घायल हुए। आंकड़े ये बताते हैं कि यूपी में सबसे ज्यादा एनकाउंटर योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल 2018 में हुए। 2022 में योगी दोबारा यूपी सीएम चुने गए।

आदित्यनाथ के शासन में हुए एनकाउंटर पर एक नजर

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के बागडोर संभालने के बाद अपराधियो पर सबसे ज़्यादा एनकाउंटर हुए। जिसमे की पांच बड़े और दुर्दांत अपराधियो की एनालिसिस आपके सामने है। जिसमे असद अहमद का एनकाउंटर यूपी एसटीएफ के मुताबिक माफिया से नेता बने अतीक अहमद के बेटे असद और मकसूदन के बेटे गुलाम उमेश पाल हत्याकांड में शामिल थे। दोनों पर 5-5 लाख रुपए का इनाम था। झांसी में यूपी एसटीएफ की टीम के साथ मुठभेड़ में दोनों को मार दिया गया था।

विकास दुबे एनकाउंटर 

10 जुलाई 2020 को उत्तर प्रदेश का हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया। विकास दुबे पर कानपुर सहित पूरे प्रदेश में हत्या, डकैती और अपहरण के 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे। 3 जुलाई 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस को जानकारी मिली कि विकास दुबे कानपुर के बिकरुगांव में छिपा हुआ है। पुलिस विकास दुबे को पकड़ने गई और मुठभेड़ में पुलिस के 8 जवान शहीद हो गए थे। जबकि पुलिस उस समय उसको पकड़ने में नाकाम रही थी। जिसके लिए पुलिस को अलग अलग स्थानों पर दबिश देने की जद्दोजहद भी झेलनी पड़ी थी। 9 जुलाई 2020 को यूपी पुलिस ने उज्जैन में महाकाल मंदिर से विकास दुबे को पकड़ा। 10 जुलाई की शाम को यूपी वापस आते समय कानपुर के पास उसकी कार पलट गई और उसने भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया।

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पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर   

9 अक्टूबर 2019 की रात पुष्पेंद्र यादव बालू का खनन कर रहा था। इस दौरान मोंठ के थानाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान की और पुष्पेंद्र यादव की कहासुनी हुई। कहासुनी में पुष्पेंद्र ने थानाध्यक्ष पर गोली चला दी थी। पुलिस ने उसी रात नाकेबंदी कर पुष्पेंद्र को गुरसरांय थाना इलाके में फरीदा के पास एनकाउंटर में मार गिराया था।

2017 से लेकर साल 2023 तक यूपी में 183 अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है। 183 अपराधियों में से ब्राह्मण और ठाकुर भी बड़ी संख्या में हैं। सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम अपराधियों की है। इसके बाद ब्राह्मण अपराधियों का नंबर है तो तीसरे स्थान पर ठाकुर अपराधी हैं। इसके बाद जाट-गुर्जर अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है। यादव और दलित इस लिस्ट में 5वें और 6ठें नंबर पर हैं। पुलिस और एसटीएफ ने 3 आदिवासी अपराधियों, 2 सिख अपराधियों और 7 पिछड़े वर्ग के अपराधियों को भी एनकाउंट में मारा है। इसी के साथ पुलिस ने 34 अन्य क्रिमिनल्स को भी मारा है। जहां एक तरफ योगी सरकार अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के लिए एनकाउंटर्स को सरकार की सफलता की नजर से देखती है तो दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस इन एनकाउंटर्स को लेकर ही योगी सरकार को घेर रहे हैं।

विपक्ष के वार पर योगी का पलटवार

2017 के बाद से ही अपराधियो पर योगी की पुलिस पैनी नज़र रखे हुए हैं, ऐसे में अपराधियों पर शिकंजा भी लगातार कसा जा रहा है। हालांकि विपक्ष खासतौर पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की माने तो योगी सरकार जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है। जिस पर राजनीति तेज़ हो गई है। अभी कुछ दिन पहले बसपा प्रमुख ने भी अपने बयान में समाजवादी पार्टी और भाजपा के साथ कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था।

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