विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूं तो उत्तर प्रदेश पुलिस को मित्र पुलिस का दर्जा प्राप्त है. लेकिन कहते हैं न कि मित्रता भी देख समझ कर ही हो तो अच्छी मानी जाती है. लेकिन यूपी में मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार में तो अजब ही मामला देखने को मिला. जहां पीड़ित को न्याय न दिलाकर पुलिस ही उसका उत्पीड़न करने पर आमादा हो गई है.
पीड़ित मुहम्मद मोसाद ने मुख्यमंत्री जनता दर्शन कार्यक्रम में दस्तावेज के साथ हाज़िर हुए और मुख्यमंत्री को बताया कि वो लखनऊ के सरोजनीनगर में एक प्लॉट खरीदे थे, उसकी बाउंड्री करवाकर अपने मूल स्थल कानपुर चले गए थे. कुछ दिन बाद उनको पता चला कि उनके प्लॉट पर किसी ने अवैध कब्जा कर लिया है. जिसके बाद वो लखनऊ आए तो अवैध कब्जेदारों ने उनके साथ मारपीट की. जिसकी सूचना उन्होंने 112 को दी तो पुलिस आई और उन्हें थाने बुलाकर काग़ज़त दिखाने को कहा और प्लॉट पर चल रहे काम को रुकवा दिया. लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर से काम शुरू हो गया. इसकी सूचना जब मुहम्मद मोसाद ने ट्रांसपोर्ट नगर चौकी को दिया तो वहां कार्यरत पुलिस अधिकारी ने उनको गालियां दी और थाने में बंद कर दिया.
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मुहम्मद मोसाद के अनुसार अवैध कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के पीड़ित से ही खाली कागज़ पर दस्तखत लिए गए, जबकि उनके खिलाफ मुकद्दमा कायम कर दिया गया. और तो और उस मुकदमे से नाम हटाने के एवज में एक लाख रुपयों की रिश्वत की मांग भी ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस ने किया. वहीं इस बात की सूचना जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार मे पहुंची तो मुख्यमंत्री ने लखनऊ पुलिस के कमिश्नर को इस विषय की जांच करने के आदेश के साथ दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
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