विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूं तो उत्तर प्रदेश की सरकार में बतौर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह अपने फैसलों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. हालांकि, उनके कई फैसले ऐसे भी होते हैं, जिससे कभी कभार यूपी सरकार की फजीहत भी होती है. आईएएस मनोज कुमार सिंह जो इस वक़्त यूपी के मुख्य सचिव पद पर तैनात हैं, उनका विवादों के साथ चोली-दामन का साथ रहा है. उनके मौखिक आदेश पर कार्रवाई और चहेतों को विभागीय कार्यो में संलिप्तता उनके कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाती है.
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फैसलों से कब-कब सरकार की हुई फजीहत
मनोज कुमार सिंह अपने दबंग अंदाज़ और धाकड़ फैसलों के लिए जाने जाते हैं. बावजूद इसके उन पर कई आरोप भी लग चुके हैं. मायावती सरकार (2007) में मनोज कुमार सिंह ग्राम्य विकास विभाग में आयुक्त के पद पर तैनात थे. इस दौरान इन्हीं के कार्यकाल में मनरेगा में बड़ा घोटाला सामने आया था. जिसके कारण मायावती सरकार की बड़ी फजीहत हुई थी. इसके अलावा ग्राम्य विकास विभाग में ही तैनात एक महिला ने तत्कालीन ग्राम्य विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद मायावती ने आईएएस मनोज कुमार सिंह के खिलाफ जांच की कार्रवाई की संस्तुति दी थी. तब उस समय मुख्यमंत्री रही मायावती ने जांच के लिए उस समय मुख्य सचिव रहे अनूप मिश्रा को जांच करने के आदेश दिए थे. ये विषय आज भी चर्चा का विषय बना रहता है.
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इसके अलावा अखिलेश यादव की 2012 की सरकार में मनोज कुमार सिंह भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग में बतौर प्रमुख सचिव तैनात थे. इस विभाग में रहते हुए विभागीय मंत्री और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव के आदेश को नजरंदाज कर उन्होंने 3100 करोड़ रुपयों से संचालित होने वाली परियोजना वॉटर शेड प्रबंधन कार्यक्रम को अपने जानने वाले फर्म प्रोजेक्ट को काम दे दिया था. जिस पर बाद में विभागीय जांच हुई और उन्हें पद से हटाया भी गया था. साथ में मामला खुलने पर सख्त कार्रवाई भी हुई थी.
विवादित फैसलों को लेने से नहीं आ रहे बाज
योगी सरकार में बतौर मुख्य सचिव का पद संभालने के बाद भी मनोज कुमार सिंह विवादित फैसले लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं. मुख्य सचिव ने नियमों को ताक पर रखकर एक शुगर मिल के लीज डीड को रिन्यू करने के लिए प्रमुख सचिव वीना कुमार मीणा को मौखिक आदेश दे दिया है. जिसके बाद अब दोनों में ठन गई है. ये विवाद इतना बढ़ गया कि मनोज कुमार सिंह ने अपने स्तर से दो अनुभाग अधिकारियों को निलंबित करते हुए वीना कुमार मीणा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नियुक्ति विभाग को पत्र भी लिख दिया है.

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हालांकि, इस मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विवाद को रोका गया. मुख्य सचिव और औद्यौगिक विकास आयुक्त के पद पर रहते हुए मनोज कुमार सिंह ने ऐसे ऐसे फैसले लिए हैं, जिसके कारण राजस्व को पलीता तो लग ही रह है. साथ ही साथ कई विभागों के प्रमुख पदों पर तैनात आईएएस अधिकारी भी परेशान हैं. अंदरखाने की बात करें तो इसके लिए कई अधिकारियों ने बाकायदा सीबीआई, विजलेंस और यूपी सरकार को पत्र भी लिखे हैं. कई अधिकारी मुख्य सचिव के कार्यशैली के शिकार हो चुके हैं.
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मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह अब भी अपनी चहेती फर्मों को विभागों में संलिप्त किए हुए हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि सरकारी विभागों में किसी भी प्राइवेट संस्था के इन्वोल्वेन्ट पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए. बावजूद इसके मनोज कुमार सिंह अपने कार्यालय के साथ कई अन्य विभागों में निजी स्वामित्व वाली संस्थाओं से कार्य करवा रहे हैं. उनके इस तरह की कार्यशैली और मौखिक आदेशो पर कार्य नहीं करने वाले पीड़ित अधिकारियों में कई नाम शुमार हैं. जिसमें ऋतु माहेश्वरी, लोकेश एम, मनोज सिंह, अनिल कुमार, वीना कुमार मीणा और इस समय सस्पेंड चल रहे. आईएएस अभिषेक प्रकाश भी हैं. विभागीय सूत्रों के मुताबिक ये सभी वो अधिकारी हैं, जो मुख्य सचिव के मौखिक आदेशों का अनुपालन नहीं किए, इसीलिए आज हाशिये पर हैं. मिली जानकारी के अनुसार, प्रमुख सचिव औद्यौगिक विकास विभाग आलोक कुमार के साथ भी मुख्य सचिव की ठन गई है.
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