विक्रम मिश्र, लखनऊ. सीएम योगी ने विधानसभा में संबोधित करते हुए कहा, युवाओं के हाथों में कौशल और रोजगार दिया गया, सबके संतुष्टिकरण पर काम हुआ. पीएम के मंत्र सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास से हम आगे बढ़ रहे हैं. आज यूपी की पहचान बेहतर कानून व्यवस्था और शांति के रूप में है. सरकारी सोच और अप्रोच में सार्थक बदलाव आया है.
1947 में स्वतंत्र भारत में जीडीपी की भागीदारी 2 प्रतिशत ही रह गई थी, तब भारत छठी अर्थव्यवस्था था. 1960 में 10वें स्थान पर था, 2014 तक भारत 11वें स्थान पर था. 2014 में भारत के पीएम मोदी जी बनते हैं. इसके बाद पीएम के विजन के फलस्वरूप 2017 में भारत 7वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना. 2024 में पांचवें और 2025 में चौथी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ, विजन का ये लाभ मिलता है. अब यूपी बीमारू नहीं रह गया है, अब यूपी डिजिटल स्टेट के रूप में स्थापित हो रहा है.

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आगे सीएम योगी ने कहा, पिछले 11 वर्ष की यात्रा में 11वीं से चौथी अर्थव्यवस्था की यात्रा तय की है. अब यूपी के परिप्रेक्ष्य में देख लें, 2017 से पहले की यूपी की हालत क्या थी. औद्योगिक इकाइयों में तालाबंदी, ऊपजाऊ भूमि, नदियां और श्रम बल होने के बावजूद आर्थिक रफ्तार बहुत धीमी थी. यूपी की नेशनल जीडीपी में भागीदारी में लगातार गिरावट रही है. 1960 में 14 फीसदी हिस्सेदारी थी. बाद में यह घटकर 8 फीसदी रह गई थी. देश की आबादी यूपी में 16 प्रतिशत रहती है, लेकिन जीडीपी में हिस्सेदारी 8 प्रतिशत रह गई थी. प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के बराबर थी, 2017 में यह एक तिहाई रह गई थी. निर्यात 84 हजार करोड़ का ही कर पाते थे, नीति आयोग के इंडेक्स में हमारी गिनती पिछड़े राज्यों में हो गई थी.

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आगे सीएम योगी ने कहा, पिछले आठ वर्षों में हमारी जीएसडीपी 35 लाख करोड़ हो इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पहुंचने जा रही है. 2017 से पहले तक सिर्फ 13 लाख करोड़ तक था. यूपी का जीडीपी में योगदान अब साढ़े नौ प्रतिशत तक पहुंचाने में सफल रहे हैं. कोविड के बावजूद यूपी की विकास दर आज नेशनल औसत से बेहतर 15.9 प्रतिशत के साथ आगे चल रही है. प्रति व्यक्ति आय 1.20 लाख तक पहुंच चुकी है. यूपी में संभावना है कि प्रति व्यक्ति आय दो लाख तक हो सकती है. बजट हमारा आठ लाख करोड़ तक हो गया है. राज्य की हिस्सेदारी हर क्षेत्र में आगे बढ़ी है.

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सीएम योगी ने ये भी कहा कि नीति आयोग के इंडेक्स में 8.9 अंकों का सुधार हुआ है. प्रदेश को फ्रंट रनर का दर्जा मिला है. अलग-अलग सेक्टर में काम हुए हैं, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में काफी काम हुए हैं. सरयू नहर योजना का डीपीआर 100 करोड़ का था. ईमानदारी से क्रियान्वयन नहीं हुआ. 2021 में डबल इंजन की सरकार ने इसे पूरा किया. तब तक इसकी लागत बढ़कर 10 हजार करोड़ हो गई थी. 1971 की योजना को समय पर पूरा न करने के लिए कौन लोग दोषी हैं? पीएम कृषि सिंचाई योजना के चलते यह योजना पूरी हो पाई. 14 लाख हेक्टेयर सिंचाई हमें प्राप्त हो पाई. कई सिंचाई परियोजनाएं बिना विजन के अधूरी पड़ी थीं. पीएम मोदी ने 2014 में इसका क्रियान्वयन किया, पशुपालन, डेयरी में काफी बदलाव किया गया.