लखनऊ. सपा सांसद डिम्पल यादव ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए कहा है कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है, लेकिन देखा जा रहा है कि वह सरकार के इशारे पर काम कर रहा है. चुनाव आयोग पूरी तरह से समर्पित होकर सरकार के लिए काम कर रहा है. चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाए और चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाए. चुनाव के दौरान खातों में पैसा भेजने और मतदाताओं को प्रलोभन देने का कार्य बंद किया जाए.
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उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में उपचुनाव में वोटों की धांधली हुई. भाजपा ने मनमानी की. पुलिस सादे कपड़े में खुद वोट डालती नज़र आई. समाजवादी पार्टी ने बार-बार शिकायत की लेकिन चुनाव आयोग ने दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. चुनाव आयोग से समाजवादी पार्टी ने सीसी टीवी फुटेज की मांग की. आयोग ने फुटेज नहीं दी, उल्टे 45 दिन बाद चुनाव की सीसी टीवी फुटेज हटाने का नियम बना दिया गया. चुनाव आयोग पूरी तरह से पक्षपाती नज़र आ रहा है. यह स्थिति तब से पैदा हुई है जबसे चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश को हटाकर केन्द्रीय मंत्री को शामिल किया गया और चुनाव आयोग पर कोई कानूनी कार्रवाई न होने का बिल पास कर उसे ताकत दी गई.
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आगे डिम्पल यादव ने कहा कि एसआईआर के नाम पर नागरिकता कानून लागू किया जा रहा है. चुनाव आयोग द्वारा प्रशासनिक निष्पक्षता के नाम पर किया जा रहा यह कार्य नागरिकता और संवैधानिकता, नैतिकता के अधिकार पर सीधा निशाना है. चुनाव आयोग एनुअल समरी रिवीजन कराता है, लेकिन नागरिकता का प्रमाण मांगना कानूनन उसके अधिकार में नहीं है. उन्होंने कहा कि अब तक चुनाव आयोग ऐसी संस्था रहा है, जिसका कार्य हर व्यक्ति को वोटरलिस्ट में शामिल करना है, लेकिन इस एसआईआर में देखा जा रहा है मतदाताओं का नाम जोड़ने के बजाय हटाया जा रहा है.
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बिहार में एसआईआर में 80 लाख वोटर के नाम हटाए गए. यह सूची उपलब्ध नहीं है कि 80 लाख वोटर कहां गए? एसआईआर के बाद अंतिम मतदाता सूची में 14 लाख डुप्लीकेट वोटर पाए गए. यूपी में चल रही एसआईआर की प्रक्रिया में बीएलओ को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया. दस से ज्यादा बीएलओ ने काम के बोझ के कारण आत्महत्या कर ली है. एसआईआर की प्रक्रिया वोट काटने की प्रक्रिया साबित हो रही है.
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