विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पहले आईएएस अधिकारी थे और वो भी जीरो पावर कट स्टेट गुजरात कैडर के अधिकारी थे. उत्तरप्रदेश के मऊ के मधुबन विधानसभा में उनका पैतृक आवास होने के कारण सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने भाजपा में एमएलसी बनकर ऊर्जा मंत्री और नगर विकास विभाग की जिम्मेदारी उठा ली. ऐसे में ये दोनों विभाग सीधे तौर पर जनता से जुड़े हुए विभाग हैं और किसी भी प्रकार का कोई भी काम यहां होता है तो उस पर सीधे जनता की नज़र होती है. पूरे उत्तर प्रदेश के लोग बिजली नहीं आने की समस्या से हलकान हैं, लेकिन मंत्री जी को लगता है कि पिछले 3 सालों में उत्तर प्रदेश के विद्युत विभाग में अभूतपूर्व काम किया गया है.

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सबसे महंगी बिजली यूपी में लेकिन फिर भी अंधेरा

बिहार की सीएम नीतीश कुमार के फ्री बिजली देने के बयान पर तंज कसने वाले उत्तरप्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा अब सफाई देते फिर रहे हैं, लेकिन नियामक आयोग में 45 प्रतिशत बिजली बिल में बढ़ोत्तरी पर मंत्री खामोश हैं. नियामक आयोग में जनसुनवाई पूरी कर 2025-26 में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल अधिभार में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की अनुशंसा कर रहा है. ऐसे में अगर प्रति 300 यूनिट बिजली की बात करें तो उत्तर प्रदेश में लगभग 6 रुपये 33 पैसे प्रति यूनिट लगते हैं. जबकि, सबसे कम बिहार में लगभग 2 रुपये 45 पैसे प्रति यूनिट है.

बिजली विभाग फिसड्डी

उर्जा मंत्री एके शर्मा की एक मीटिंग आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें वे अधिकारियों को डांटते हुए दिखाई दिए. लेकिन डिस्कॉम्स और सप्लाई पर उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग फिसड्डी ही साबित हो रहा है. विभाग ने न तो सड़े तारों को बदलने में कामयाबी हासिल किया है और न ही ट्रांसफार्मर ही बदले गए हैं. मुहल्लों में तो हाल ये है कि कनेक्शन के आधार पर कम लोड वाले ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं, जिससे लाइट रहने पर भी बिजली का एहसास जनता को नहीं हो पाता है.