लखनऊ. भाजपा सरकार ने सबका साथ और सबका विकास का नारा गढ़ा. इस नारे को पीएम मोदी औऱ सीएम योगी ने कई बार कई मंच से दोहराया. इस नारे से लोगों को भाजपा सरकार ने विकास के सपने दिखाए. लेकिन इस सपने के पीछे एक भयानक सच भी छिपा है, जो सामने आया है. यूपी के हर व्यक्ति पर 37,500 रुपए का कर्ज है. यूपी पर पिछले 5 साल में 6 लाख करोड़ से बढ़कर 9 लाख करोड़ रुपए उधार होने का अनुमान है. ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि सीएम योगी और भाजपा क्या इसी विकास की बात करते थे? 2028 तक वन ट्रिलियन इकॉनमी बनने का सपना कहीं जुमला तो नहीं? इस मुद्दे को लेकर सपा ने भाजपा को घेरने का काम किया है.

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राज्य वित्त आयोग के मुताबिक, राज्य को राजस्व में 2.97 फीसदी घाटा हो रहा है. 23-24 में राज्य सरकार पर कुल ऋण करीब 7.76 लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 25-26 में 9 लाख करोड़ रुपये के पार होने का अनुमान है. ऐसे में प्रदेश के हर व्यक्ति पर 37,500 रुपए का कर्ज है. हालांकि, राज्य वित्त आयोग इसे राज्य के विकास का संकेतक बता रहा है. राज्य वित्त आयोग का मानना है कि जितना राज्य की बुनियादी चीजों में खर्च होगा, उतना ही उधार बढ़ता है. इससे साफ है कि यूपी सरकार अपने आय से ज्यादा, यानी उधार लेकर पैसे खर्च कर रही है.

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वहीं इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा, भाजपा ने या तो दर्द दिया या क़र्ज़ दिया. भोली जनता पूछ रही है कि ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का दावा करते समय उप्र भाजपा सरकार प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर जो 37,500/- का क़र्ज़ है, वो जोड़ती है या नहीं? और उप्र की जनता ये भी कह रही है कि अगर ‘15 लाख’ का भाजपाई वादा ‘जुमला’ साबित न होता तो आज इस लोन को घटाने के बाद सबके खाते में लगभग 14,62,500/- रुपए होते. जोड़-घटाने की भूलचूक माफ.